आर्ट की दुनिया का ‘कोहिनूर’ हैं पांचवीं फ़ेल वाजिद खान

एक कलाकार की सोच परिंदे की तरह होती है आज़ाद, बुलंद और कुछ बार तो कल्पना से परे। कुछ कलाकार तो ऐसे हैं जो अपने आसपास पड़ी फ़ालतू या आम सी समझी जाने वाली चीज़ों का इस्तेमाल कर भी ऐसा जबरदस्त कला का नमूना बनाने में कर देते हैं जिसे देख कर किसी भी आदमी के होश उड़ जाएँ।

ऐसे ही एक बेहतरीन कलाकार हैं इंदौर के रहने वाले 5 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले वाजिद खान। यहाँ हम बताना चाहेंगे कि वाजिद को महज एक कलाकार कहना उनके किरदार के साथ नाइंसाफी होगी, एक कलाकार के तौर पर वह जहाँ कला की दुनिया के ‘कोहिनूर’ हैं वहीँ एक बेहतरीन इंसान भी हैं जिसे समाज की मदद करने का जूनून है।

पढ़ाई के मामले में वाजिद पांचवीं फेल हैं जिसके बाद उन्होंने कुछ घर के हालातों और पढ़ाई में ध्यान न होने की वजह से पढ़ाई से नाता तोड़ लिया था।

हमारे विशेष संवाददाता ए.एच.अंसारी से बात करते हुए वाजिद ने बताया कि पैसों की तंगी और पढ़ाई में ध्यान न होने की वजह से उन्होंने फ़ैल होने के बाद पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया। उनकी माँ ने उन्हें 1300 रूपये देकर अपना नाम बनाने के लिए घर से विदा कर दिया था क्यूंकि उस गाँव में जहाँ वो रहते थे वहां वह सहूलियतें नहीं थीं जो वाजिद की सोच को असलियत में उतार सकें। घर छोड़ने के बाद अहमदाबाद पहुँच पेंटिंग और इनोवेशन के काम में जुट गए। वहां वो रोबोट बनाते थे और वहीँ पर उनके हुनर को पहचाना IIM अहमदावाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने।

प्रोफेसर अनिल गुप्ता को वाजिद अपना गुरु मानते हैं और बताते हैं: ” उन्होंने मेरा काम देखकर मुझे 17500 रूपये दिए और कहा की तुम्हारी जगह यहाँ नहीं है तुम आर्ट फील्ड में जाओ वही तुम्हारे लिए सही राह है“। इस बात को मान वाजिद आगे बढे और फिर बुलंदियां छूने से उन्हें कोई नहीं रोक पाया।

इतने साल की मेहनत और लगन का नतीजा यह निकला कि आज पूरी दुनिया में उनके आर्ट के लाखों कद्रदान हैं। वाजिद अपनी यहाँ तक के सफर के लिए शुक्रमंद हैं प्रोफेसर अनिल गुप्ता का जिन्होंने उन्हें हर कदम पर सही गाइडलाइन दी। अपनी ज़िन्दगी के इस मुकाम पर पहुँचने वाले वाजिद को पिछले दिनों आईआईएम अहमदावाद ने गेस्ट लेक्चर देने के लिए आईआईएम भी बुलाया था जहाँ उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में आई तकलीफों से पार पाने के तरीके स्टूडेंट्स के साथ बांटे।

लेकिन वाजिद के लिए ‘सीखते रहने का सिलसिला‘ उनके स्कूल छूटने के बाद खत्म नहीं हुआ बल्कि चलता ही रहा बेशक सीखने का रुख किताबी पढ़ाई न होकर कुछ और था। सीखने और कुछ अलग करने की सोच के बूते पर ही महज 14 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया की सबसे छोटी 1 इंच की कपडे प्रेस करने वाली इस्त्री ईजाद कर डाली और आगे चलकर एक नए तरह की कला “नेल आर्ट” (कीलों के कला बनाने का तरीका) ईजाद की और पूरी दुनिया में इसे पहुँचाया।

नेल आर्ट को पूरी दुनिया में पहुंचाने वाले वाजिद इस आर्ट का इस्तेमाल करते हुए मश्हूर हस्तियों जैसे कि सलमान खान, महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम और धीरूभाई अम्बानी जैसी बड़ी हस्तियों के पोर्ट्रेट बनाये हैं।

इसके इलावा वह इंडस्ट्रियल वेस्ट और गोलियों से भी आर्ट पीस बनाते हैं। उन्होंने अपनी इस कला को पेटेंट भी करवाया हैं जिसकी बदौलत उनकी इस कला को उनकी इजाज़त के बिना कोई कॉपी नहीं कर सकता है। साल 2022 में क़तर में होने वाले फीफा वर्ल्ड कप में उन्हें 10000 स्कवेयर फ़ीट की एक कलाकृति बनाने का आर्डर मिला है। जिसके लिए उन्हें २200 करोड़ रुपए मिलेंगे यह स्कल्पचर दुनिया का सबसे बड़ा स्कल्पचर होगा और वाजिद इसके लिए मिलने वाले सारे पैसे यानि 200 करोड दान में देने वाले हैं।अपनी कला और समाजसेवा के जूनून की वजह से वाजिद पूरी दुनिया में मिसाल बन गए हैं।