क़ल्ब पर हमले की रोक थाम के लिए नई दवा

साईंसदानों ने दावा किया है कि अब वो एक मूसिर दवा की तय्यारी के बिलकुल करीब हैं जो क़ल्ब पर हमला के अंदेशों को इसी बगैर किसी ज़िमनी असरात के बिलकुल ख़त्म करदेगी। ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनीवर्सिटी के मुहक़्क़िक़ीन ने इस तरह अब उन हज़ारों अफ़राद के लिए उम्मीद की एक नई किरण पैदा करदी है जो क़ल्ब पर हमले के बाइस या फ़ौत होजाते हैं यह फिर डरी सहमी ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर हैं।

आलमी सतह पर क़ल्ब पर हमला से फ़ौत होने वाले अफ़राद की तादाद कैंसर और दीगर मूज़ी बीमारियों के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा है। क़ल्ब पर हमला को Silent Killer भी कहा जाता है कि बाज़ वक़्त मरीज़ों को ये मालूम भी नहीं होता कि वो आर्सा क़ल्ब में मुबतला हैं। मुहक़्क़िक़ीन ने इस सिलसिला में G प्रोटीन कपल्ड रे सपट्टरस (GPCRs) कहा गया है।

दो सालमात के कामयाब मुरक्कब के ज़रिया अब वो एक बिलकुल नई दवा की इजाद के करीब पहुंच चुके हैं जो हज़ारों अफ़राद के लिए यक़ीनन एक ख़ुशख़बरी साबित होगी। सब से अहम बात ये है कि इस दवा के कोई ज़िमनी असरात मुरत्तिब नहीं होंगे। आम तौर पर किसी भी नई दवा के इस्तिमाल से क़बल मरीज़ को ये फ़िक्र लाहक़ रहती है कि आया इस दवा के कोई ज़िमनी असरात तो नहीं?

मुहक़्क़िक़ीन ने कहा कि मौजूदा तौर पर क़ल्ब पर हमले की रोक थाम के लिए जो अदवियात इस्तिमाल की जा रही हैं उन में भी GPCRs का इस्तिमाल किया जा रहा है।