जब भी कोई ग़ैर मुस्लिम कुरआन को पढ़ता है तो आश्चर्य में डूब जाता है- लेखक

इस्लाम के बारे में एक बहस यह है कि यह धर्म अपने शांति और प्रेम के संदेश के कारण फैला या तलवार के ज़ोर पर? न्यूयार्क टाइम्ज़ ने एक पुस्तक का प्रज़ेन्टेशन प्रकाशित किया है जिसका नाम है मुहम्मद प्राफ़िट आफ़ पीस एमिड द क्लैश आफ़ इम्पायर।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, इस किताब में लेखक जुआन कोल ने इस बारे में अनेक प्रश्नों के उत्तर दिए हैं कि क्या हज़रत मुहम्मद ने लोगों पर इस्लाम धर्त तलवार के ज़ोर पर थोपा था?

लेखक ने लिखा है कि जब भी कोई ग़ैर मुस्लिम कुरआन को पढ़ता है तो आश्चर्य में डूब जाता है क्योंकि उसे इस किताब में हज़रत इब्राहीम, हज़रत मूसा, हज़रत युसुफ़ और हज़रत ईसा के बारे में पढ़ने को बहुत कुछ मिलता है जबकि हज़रत मुहम्मद के बारे में क़ुरआन में बहुत अधिक बात नहीं की गई है! क़ुरआत में जगह जगह हज़रत मुहम्मद को संबोधित तो किया गया है लेकिन उनके बारे में ज़्यादा बात नहीं की गई है।

वाशिंग्टन में कैटो फ़ाउंडेशन नामक थिंक टैंक के अनुसंधानकर्ता मसतफ़ा अकयूल ने लिखा है कि इस्लामी पुस्तकों से पैग़म्बरे इस्लाम के जीवन के बारे में बहुत सी किताबें लिखी गई हैं मगर जुआन कोल ने जो कुछ लिखा है वह बिल्कुल नई बातें हैं।

इस लेखक के पास जानकारियां बहुत अधिक हैं और उन्होंने नए तथ्य और नए तर्क पेश किए हैं। कोल का कहना है कि सातंवी शताब्दी ईसवी में जब इस्लाम का उदय हुआ तो उस समय क़ुसतुन्तुनिया के ईसाई साम्राज्य और ईरान के ज़ौराष्ट्रियन साम्राज्य के बीच युद्ध चल रहा था और इस जियो पोलिटिकल द्वंद्व के बीच इस्लाम का उदय हुआ था।

कोल ने अपने दृष्टिकोण का तर्क कुरआन में मौजूद सूरए रोम की आरंभिक आयतों से पेश किया है जहां अल्लाह कहता है कि रोम नज़दीक की ही धरती पर परास्त हो गया और यह लोग इस पराजय के बाद पुनः विजय हासिल करेंगे कुछ ही वर्षों के भीतर, शुरू और आख़िर के मामले तो ईश्वर के हाथ में हैं और उस दिन मोमिन बंदे ख़ुश होंगे। यह ईश्वर की सहायता से होगा और ईशवर जिसकी चाहता है मदद करता है वह महान और दयालु है।

कोल लिखते हैं कि इन आयतों से साफ़ ज़ाहिर है कि उसम समय के मुसलमानों को ईसाइयों से कितनी मुहब्बत थी क्योंकि ईसाई भी एक ईश्वर की उपासना करने वाले थे जबकि उनका युद्ध मूर्तियों की पूजा करने वाले नास्तिकों से था।

कोल का तर्क है कि उस समय मुसलमानों और ईसाइयों के संबंध आपसी प्रेम और मुहब्बत से बढ़ कर थे। क्योंकि उस समय मुसलमानों और रोम साम्राज्य के बीच गठबंधन हो गया था जिसके तहत मुसलमान रोमन साम्राज्य के कामनवेल्थ का हिस्सा बन गए थे।

मुसतफ़ा अकयूल का मानना है कि कोल ने बिल्कुल नए अंदाज़ से तथ्यों को पेश किया है जिन पर विचार और अनसंधान करने की ज़रूरत है।

इतिहास में जो कुछ है उससे तो यही लगता है कि मुसलमानों और ईसाइयों के बीच कोई गठबंधन नहीं था मगर लेखक ने जिस बिंदु को सामने रखा है उसके आधार पर हमें अब अलग दिशा में देखने और सोचने की ज़रूरत है।

लेखक का कहना है कि उन हालात में पैग़म्बरे इस्लाम ने एकेश्वरवादी धर्म का प्रचार किया और अलग अलग संस्कृतियों के लिए समावेशी वातावरण तैयार करने की कोशिश की।

लेखक ने पैग़म्बरे इस्लाम के शुरू के जीवन और मक्का नगर में गुज़ारे गए कठिनाइयों से भरे वर्षों की बात की है और तथ्यों के साथ यह विचार रखा है कि पैग़म्बरे इस्लाम ने बाद में जो भी युद्ध किया वह सब आत्म रक्षा के तहत किया।