जानिए कब और कैसे हुई हिजाब दिवस की शुरुआत?

हिजाब दिवस मनाकर मुस्लिम महिलाएं अपने धर्म के प्रति एकजुटता दिखाती है और महिलाएं हिजाब की अहमियत बताकर विश्व की अन्य महिलाओं को हिजाब के प्रति जागरूक करती हैं। मुस्लिम महिलाएं हिजाब को इस्लाम द्वारा महिलाओं को दिया गया एक महान तोहफ़ा मानती हैं और महिलाओं के लिए गर्व बताती हैं। यही कारण है कि हिजाब दिवस  के अवसर पर दुनिया भर की मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनकर अपने उज्जवल भविष्य की तरफ़ बढ़ने के लिए प्रेरित होती हैं। यह वह ख़ास दिन है जो महिलाओं को यह एहसास दिलाता है कि हिजाब उनके लिए कोई बंदिश नहीं, बल्कि सबसे अनमोल तोहफ़ा है।

विश्व हिजाब दिवस के अवसर पर मुस्लिम महिलाएं हिजाब पहनकर अपने आप को सुंदर, आत्मविश्वास से भरपूर और सशक्त समझती हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में दुनिया भर की तमाम मुस्लिम महिलाएं हिजाब दिवस पर हिजाब पहनकर एकजुट होती नज़र आती हैं और हिजाब के साथ अपनी फ़ोटो को सोशल मीडिया पर शेयर करती हैं ताकि दुनिया को बता सकें कि हिजाब महिलाओं के लिए ईश्वर द्वारा दिया गया एक ऐसा तोहफ़ा है जो महिलाओं को दुनिया का हर तरह की गंदगी से बचाने में महत्वपूर्ण रोल अदा करता है।

 

आइए जानते हैं कैसे हुई इस विश्व हिजाब दिवस की शुरुआत?

 

विश्व हिजाब दिवस की शुरुआत 1 फ़रवरी वर्ष 2013 से हुई और इसका श्रेय नजमा ख़ान नामक महिला को जाता है। वास्तव में नजमा ख़ान ने सामाजिक बदलाव के लिए मुस्लिम महिलाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से 1 फ़रवरी को हिजाब दिवस मनाने की शुरुआत की थी। हिजाब दिवस मुस्लिम महिलाओं के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए मनाया जाता है। हर साल दुनिया भर की मुस्लिम महिलाएं “हिजाब दिवस” को हिजाब पहनकर सेल्फी लेती है और अन्य महिलाओं को प्रेरित करने के लिए ख़ास संदेशों के साथ अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करती हैं। वह इस दिन को अपनी ताक़त के तौर पर मनाती है। इस दिन अभियान चलाए जाते हैं, जिनमें महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाता है।

 

मुस्लिम महिलाएं हिजाब क्यों पहनती हैं?

 

अधिकतर आपने मुस्लिम महिलाओं को बुर्क़ा और हिजाब पहने हुए देखा होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आख़िर मुस्लिम धर्म की महिलाएं इसे क्यों पहनती हैं? दरअसल, इसका उल्लेख मुस्लिम धर्म के पवित्र पुस्तक ‘क़ुरआन करीम’ में मिलता है। इस पवित्र किताब में बताया गया गया है कि मुस्लिम धर्म की महिलाओं और पुरुषों का लिबास कैसा होना चाहिए?  क़ुरआन के मुताबिक़, मुस्लिम महिलाओं का वस्त्र ऐसा होना चाहिए, जिसे पहनने के बाद उनकी आंखे, चेहरा, हाथ और पैर किसी पराये आदमी को न दिखाई दे। यही वजह है कि मुस्लिम महिलाएं बुर्क़ा और हिजाब पहनकर अपने शरीर और चेहरे को ढंककर रखती हैं।

उल्लेखनीय है कि हिजाब की तो अरबी भाषा में इसका अर्थ है सिर ढंकना, जिसे पहनने के बाद महिला का चेहरा तो नज़र आता है, लेकिन बाल और गर्दन छिपे होते हैं। वास्तव में  पश्चिमी देशों में हिजाब पहनने का चलन अधिक दिखाई देता है, जबकि एशियाई देशों में बुर्क़े का इस्तेमाल ज़्यादा किया जाता है।

साभार- पारश टुडे