जामा मस्जिद में Tik Tok वीडियो बनाने वालों को पकड़ने के लिए बनाई गई 10 लोगों की टीम

दिल्ली की प्रसिद्ध जामा मस्जिद में टिक-टॉक वीडियो पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन दिनों यहां लगभग हर एक घंटे में इस बारे में घोषणा की जा रही है। वहीं टिक-टॉक वीडियो बनाने वाले लोगों को पकड़ने के लिए 10 लोगों की एक टीम तैयार की गई है। इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में जामा मस्जिद के शाही इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी ने कहा, ‘जामा मस्जिद के अंदर कम से कम पांच वायरल टिक-टॉक वीडियो बनाने की बात सामने आई है, जिसमें एक महिला को वीडियो हैंड स्टैंड करते हुए देखा जा सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘टीम अब तक तीन लोगों को वीडियो बनाते हुए पकड़ चुकी है। पहले हमने सोचा था कि ये सिर्फ एक सेल्फी है लेकिन करीब से देखने पर हमें पता चला कि वे ऐप का इस्तेमाल कर रहे हैं। यंगस्टर्स यहां वीडियो बनाते हैं और फिर बाद में बैकग्राउंड स्कोर जोड़ देते हैं। पकड़े जाने पर उन्हें वीडियो हटाने के लिए कहा जाता है। अगर वह वीडियो नहीं हटाते हैं तो हम फोन से ऐप हटा देते हैं।’

मस्जिद के इमाम बुखारी ने कहा, ‘मुझे पता है कि लोगों के बीच टिक-टॉक वीडियो का क्रेज है लेकिन मस्जिद में पांच समय की नमाज पढ़ी जाती है। नमाजी और गैर-नमाजी यहां बने दो गुंबदों का इस्तेमाल मुख्य गुंबद तक पहुंचने के लिए करते हैं। हम उस जगह को प्रतिबंधित करना चाहते हैं ताकि इस तरह के वीडियो बनाने वाले लोगों पर नजर रखी जा सके। चाहे मंदिर हो, मस्जिद हो या गुरुद्वारा कोई भी ऐसी जगह इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता। मस्जिद प्रार्थना की जगह है यह जगह इन सब चीजों (टिक-टॉक) के लिए नहीं है क्योंकि यहां संगीत बजाना मना है।’

शाही इमाम बुखारी ने कहा, ‘इस मामले में विदेशी पर्यटक सहयोग करते हैं और वीडियो नहीं बनाते हैं। हाल ही एक जापानी महिला को जब मस्जिद के अंदर वीडियो बनाने से रोका गया और बताया गया कि यहां वीडियो बनाना प्रतिबंधित है तो महिला ने तुरंत वीडियो डिलीट कर दिया और माफी भी मांगी ‘

जानकारी के मुताबिक फेसबुक पेज ओल्ड दिल्ली हैरिटेज, पुरानी दिल्ली की बातें करके एक पेज बनाया गया है। इस पेज से 62 हजार लोग जुडे़ हुए हैं। इसी पेज पर टिक-टॉक वीडियो शेयर की गई थी, जिसमें दो महिलाओं को हैड स्टैंड करते हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा एक अन्य वीडियो में एक लड़के को एक गाने पर नाचते हुए देखा जा सकता है। फेसबुक पेज के फाउंडर अबू सूफियान ने कहा,’मुझे वीडियो वॉट्सऐप पर मिली थी और जब मैंने इसे फेसबुक पर अपलोड किया तो कुछ लोगों ने इसे जामा मस्जिद प्रशासन के सदस्यों को भेज दिया।’