दारुल उलूम देवबंद ने शादियों में की जाने वाली गैर इस्लामिक रस्मों से बचने के लिए कहा, इस्लामिक तौर तरीकों को अपनाने की सलाह दी!

दारुल उलूम देवबंद ने शादियों में की जाने वाली रस्मों को नाजायज़ करार दिया है। जिसमें निकाह की तारीख लाल रंग के खत पर लिखने को नाजायज करार दिया है। साथ ही दुल्हन को मामा की गोद में उठा कर डोली में बैठाने की विदाई रस्म को भी गलत बताया गया है।

दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग से एक युवक ने लिखित में तीन सवाल किए थे। इसमें युवक ने निकाह की तारीख मे लाल स्याही, महिलाओं के पैरों में बीछुए और छल्ले पहनने के साथ दुल्हन की विदाई मामा के गोद में उठाकर डोली में बिठाने के बारे मे पूछा था।

इसके जवाब में दारुल उलूम की खंडपीठ ने विचार विमर्श करते बताया है। देवबंदी उलेमा मुफ्ती हय्यान कासमी ने बताया कि ये सभी रस्में गैर इस्लाम धर्म की हैं। इसलिए निकाह की तारीख लाल रंग के खत पर लिख कर भेजना गलत है।

लाल रंग खतरे का प्रतीक माना जाता है, इसलिए निकाह जैसे पाक मौके पर लाल खत भेजना इस्लाम में नाजायज बताया गया है। वहीं दुल्हन को मामा की गोद में उठाकर डोली में बिठाना भी गैर इस्लामिक है, जिसके चलते मुसलमानों को गैर इस्लामिक रस्मों से बचना चाहिए. साथ ही महिलाओं के पैरों में बिछूए पहनना वैवाहिक जीवन की पहचान है।

देवबंदी उलेमाओं ने इन रस्मों को गैर इस्लामिक बताते हुए छोड़ देने की नसीहत दी है। इतना ही नहीं गैर इस्लामिक रस्मों को करने और उन रस्मों में शामिल होने पर भी एतराज जताते हुए उन्होंने इस्लामिक दायरे में ब्याह शादी करने हिदायत दी है।

साभार- ‘ज़ी न्यूज़’