नाबालिग हिंदू बहनों के मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि दोनों को जबरन मुसलमान नहीं बनाया गया और वे अपने पतियों के साथ रह सकती हैं। रवीना (13), रीना (15) और उनके पतियों ने पुलिस के कथित उत्पीड़न के खिलाफ इस्लामाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
हाल में दोनों लड़कियों के पिता और भाई ने आरोप लगाया था कि लड़कियां नाबालिग हैं। लड़कियों को अगवा कर उनका जबरन धर्मांतरण कराया गया और मुस्लिम व्यक्तियों से शादी करा दी गई।
Pakistani high court on Thursday declared that the two Hindu teenage sisters (aged 13 and 15) were not forcibly converted from Hinduism to Islam, and permitted them to live with their spouses, according to a media report.https://t.co/LGbTXZONgb
— The Wire (@thewire_in) April 11, 2019
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, अंग्रेजी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी अर्जी में दोनों लड़कियों ने दावा किया कि वे घोटकी (सिंध) के एक हिंदू परिवार से जरूर हैं, लेकिन उन्होंने इस्लामिक उपदेशों से प्रभावित होकर अपना धर्म बदला।
वहीं, लड़कियों के पिता के वकील ने कहा कि यह जबरन धर्मांतरण का मामला है। चीफ जस्टिस अतहर मिनाल्लाह ने इस बात की जांच के लिए पांच सदस्यीय आयोग बनाया था कि क्या इन दोनों हिंदू बहनों का जबरन धर्मांतरण कराया गया या मामला फिर कुछ और है।
मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी, प्रख्यात मुस्लिम विद्वान मुफ्ती ताकी उस्मानी, पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. मेहंदी हसन, राष्ट्रीय महिला दर्जा आयोग खवार मुमताज और मशहूर पत्रकार रहमान वाले इस आयोग ने मामले की जांच की और वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि मामला जबरन का धर्मांतरण नहीं है। रवीना और रीना को होली से एक दिन पहले कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के एक समूह ने उनके घर से कथित रूप से अगवा कर लिया था।
बाद में एक वीडियो सामने आया, जिसमें एक मौलवी दोनों का कथित रूप से निकाह कराते हुए नजर आ रहा था। इसको लेकर काफी बवाल हुआ था। भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले में इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग से रिपोर्ट मांगी थी।