महाराष्ट्र में बीफ पर पाबंदी हक़ बजानिब – सरकारी वकील

मुंबई: हुकूमत महाराष्ट्र ने आज बंबई हाईकोर्ट में ये इस्तिदलाल पेश किया कि बीफ पर मुकम्मल पाबंदी से मुताल्लिक़ उस का फ़ैसला रियासती पोलिसी के रहनुमायाना उसूलों के ऐन मुताबिक़ है जिसकी तौज़ीह दस्तूर में की गई है। ऐडवोकेट जनरल सिरी हरी एनी ने हुकूमत की नुमाइंदगी करते हुए सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले का हवाला दिया कि कोई भी क़ानून जोकि रहनुमायाना उसूलों के मुताबिक़ हो मफ़ाद-ए-आम्मा के हक़ में नाफ़िज़ किया जा सकता है।

वाज़िह रहे कि जस्टिस ए एस अविका और जस्टिस एससी गुप्ता पर मुश्तमिल डीविझ़न बेंच मुख़्तलिफ़ मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्तों की समाअत कर रहा है जिसमें क़ानून महाराष्ट्र तहफ़्फ़ुज़ मवीशयान को चैलेंज किया गया। 1976के असल क़ानून में सिर्फ गा‍व‌ कुशी को ममनूआ क़रार दिया गया था जिसमें तरमीम करते हुए बैलों के ज़बीहा पर पाबंदी आइद कर दी गई और ख़िलाफ़वरज़ी की सूरत में पाँच साल सज़ाए क़ैद और 10हज़ार रुपये जुर्माना आइद किया जा सकता है। हत्ता कि बीफ रखने और इस्तेमाल करने पर भी एक साल की सज़ाए क़ैद और दो हज़ार रुपये जुर्माना आइद करने का इख़तियार हासिल है।