मुस्लमानों के साथ तास्सुब पसंदी ख़तम करना ज़रूरी : वज़ीर-ए-आज़म

नई दिल्ली।6 सितंबर (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज सकीवरीटी एजैंसीयों से कहा कि वो मुस्लमानों के ख़िलाफ़ बसाऔक़ात तास्सुब पसंदी और ज़्यादतियों को ख़तन करें। इस से पुलिस की नेकनामी पर हर्फ़ आता ही। मूसिर पुलिस फ़ोर्स ही कारकरद साबित होगी। मनमोहन सिंह ने पुलिस के आली ओहदेदारों, सरबराहों से कहा कि वो जहां कहीं भी तास्सुब पसंदी पाई जाती है इस को दूर करें और इस तरह की तास्सुब पसंदी या ज़्यादतियों से रौनुमा होने वाले वाक़ियात का मुकम्मल फ़र्ज़शनासी ग़ैर जांबदारी से तदारुक करें। डी जी पी और आई जी पेज की कान्फ़्रैंस से ख़िताब करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि मुस्लमानों के ख़िलाफ़ तास्सुब पसंदी और जांबदारी का मसला हालिया क़ौमी यकजहती कौंसल के इजलास में भी ज़ेर-ए-बहिस आया है जहां ये बात शिद्दत से पेश की गई है कि मुल्क में मुस्लमानों अक़ल्लीयतों के साथ तास्सुब पसंदी मुतासबाना तर्ज़ अमल और ज़्यादतियों के ख़िलाफ़ मनमानी कार्रवाई करके इस तबक़ा को ख़ौफ़ज़दा करदिया ही। पुलिस के आली ओहदेदारों की इस कान्फ़्रैंस को अनटलीजनस ब्यूरो ने मुनाक़िद किया था। मनमोहन सिंह ने मज़ीद कहा कि पुलिस और सकीवरीटी एजैंसीयों मैं तास्सुब पसंदी से पुलिस की मूसिर कार्यवाईयों पर हर्फ़ आरहा ही। अवाम उस की कारकर्दगी को मुश्तबा तसव्वुर कररहे हैं। समाज के तमाम तबक़ात में पुलिस पर एतिमाद की बहाली और तआवुन का जज़बा पैदा होना ज़रूरी ही। वज़ीर-ए-आज़म ने ये भी कहा कि हुकूमत रियास्ती पुलिस फ़ोर्स में अमला की कमी को दूर करने के लिए जंगी बुनियादों पर इक़दामात करने की कोशिश कररही ही। उन्हों ने कहा कि गुज़श्ता हफ़्ता मुनाक़िदा क़ौमी यकजहती कौंसल के इजलास में इस बात पर भी ग़ौर किया गया कि फ़सादाद से निमटने के लिए पुलिस फ़ोर्स को बेहतर तर्बीयत दी जाय और उसे असरी तौर पर तैय्यार किया जाई। इस का मतलब यही है कि पुलिस फ़ोर्स को असरी बुनियादों से मुसल्लह करते हुए फ़सादाद पर फ़ौरी क़ाबू पाने के काबिल बनाना ज़रूरी ही। वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि वो पुलिस कान्फ़्रैंस में ये ख़्याल पेश करना चाहेंगे कि रियास्ती पुलिस फ़ोर्स में तर्बीयत याफ़ता फ़ोर्सस को शामिल करने और बासलाहीयत फ़ोर्स तशकील देने के लिए बेहतर दस्तयाब मवाकों से इस्तिफ़ादा किया जाय और पुलिस के लिए बेहतर राहें और तरीक़ा तलाश किए जाएं। बाअज़ औक़ात हमारी सकीवरीटी फ़ोर्सस अपने घरों से दूर रह कर अंजान इलाक़ों में मजबूरन ख़िदमात अंजाम देते हैं। उन्हें मुक़ामी सतह पर पाई जाने वाली हसासीयत का मुनासिब इलम नहीं होता और बाअज़ औक़ात उन्हें वहां की ज़बान का मसला भी दरपेश होता ही। मनमोहन सिंह ने कहा कि इस की वजह से मुक़ामी आबादी का भरोसा और एतिमाद जीतने में पुलिस फ़ोर्स को मुश्किल होती ही। ये एक बुनियादी उज़्र है जिस को दूर करने पर ग़ौर करना चाआई। मैं समझ सकता हूँ कि इस सिम्त में पहले मुतअद्दिद इक़दामात किए गए हैं लेकिन इस ताल्लुक़ से मज़ीद कोशिश करने की ज़रूरत ही।