मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव असहनीय

हैदराबाद 11 अक्टूबर:मुहम्मद उस्मान शहीद एडवोकेट राष्ट्रपति ऑल इंडिया मुस्लिम फ्रंट और राष्ट्रपति आंदोलन सुरक्षा मुस्लिम पर्सनल लॉ सरपरस्ती श्री नवाब ज़ाहिद अली ख़ां एडिटर सियासत ने अपने पत्रकारिता बयान में भारत सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ज़ेर दौरां तलाक और अक्सर विवाह जैसे मुद्दों पर दर्ज किया आवेदन याचिका में काउंटर प्रवेश करने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह काउंटर हमारे चिंताओं का आईना दार है।

हमें विश्वास था कि केंद्र सरकार जो भाजपा के राजनीतिक विचारों के होते हैं और आरएसएस की छत्र छाया में पल रही है। तीन बार तलाक और अक्सर विवाह के खिलाफ निश्चित रूप से अपने इरादों को उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री को इस मामले में जो आश्वासन दिया था, वह झूठा था ताकि मुसलमान ख़ाब-ए-ग़फ़लत का शिकार हो जाएं। श्री उस्मान शहीद कहा कि जो मुसलमान पुरुषों और महिलाओं मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव चाहते हैं उन्हें इस्लाम से खारिज कर दिया जाए। वह किसी और धर्म को अपनालीते हैं तो बहुत अच्छा है लेकिन मुसलमान रहते हुए इस्लाम में इसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती।

मुसलमान का विश्वास है कि अल्लाह का कलाम है। इस पुस्तक के बारे में कोई संदेह नहीं है। इस का हर लफ़्ज़ क़ाबिल ताज़ीम-ओ-क़ाबिल तामील है। कोई मुसलमान कुरआन के एक भी शब्द के खिलाफ अगर यह मांग करता है तो उसे बदलने, संशोधित या रद्द कर दिया जाए तो इसका मतलब है कि वह कुरआन को सही किताब स्वीकार नहीं करता तो वह मुसलमान कैसे रह सकता है? ऐसे मुसलमानों को चाहिए कि वे खुद ही इस्लाम से किनारा कर लें।