यह नाटकबाज़ चाइल्ड-ख़ोर माँ का नहीं तुम्हारा देश है!

Kanhaiya-Kumar

कन्हैया सुनो ,
अब जब तुम्हारे ऊपर हुए कायराना हमले की सच्चाई दुनिया के सामने है, उस समय शिक्षा मंत्री स्मृति ईरानी जो की इस देश के छात्रों की स्वघोषित माँ है, ने एक बार भी सवाल नहीं पूछा की ‘मेरे चाइल्ड को कोर्ट में क्यों मारा गया’? इतना वक़्त बीत गया तुम्हारे ऊपर हुए अत्याचार की कहानी सामने आये हुए लेकिन उसकी ममता जग के नहीं दे रही. छात्रों की ये स्वघोषित माँ उस घड़ी का इंतज़ार करती है जब एक चाइल्ड ‘बॉडी’ में बदल कर कफ़न पहन लेता है, कफ़न पहनने से पहले तक ये छात्रों की स्वघोषित माँ उन्हें देशद्रोही साबित कर उनसे जीने के हक़ छीन लेने की समर्थक बनी रहती है. लेकिन अब जब तुम्हारे बयान की वो वीडियो, जिसमे तुमने पेशी के दौरान अपने ऊपर हुए कायराना हमले का तफ़्सीली ब्यौरा दिया है दुनिया के सामने है, इस लम्हे हम इस अनैतिक सामाजिक व्यवस्था के छोटेपन और तुम्हारे जैसे सादे मगर संभावनाओं से भरपूर भारतीय नौजवान की भव्यता से रूबरू हो रहे हैं. कन्हैया आज से तुम भारत के ही नहीं तीसरी दुनिया के उस विकराल समूह की नुमाइंदगी कर रहे हो, जो बिलकुल निहत्था होते हुए भी इस मक्कार पूंजीवादी व्यवस्था का दुःस्वप्न है, क्यूंकि तुम्हारा विवेक और हौसला जगा हुआ है.
कन्हैया पूँजी के निर्लज्ज ग़ुलामों ने जो वार तुम पर किये हैं वो इंसानियत के जिस्म पर तब तक ज़िंदा रहेंगे, जब तक ये निर्लज्ज व्यवस्था नेस्तनाबूत नहीं हो जाती.
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रोहित वेमुळे, कन्हैया कुमार, उमर ख़ालिद- व्यवस्था याद रखे की अवाम इन नामों को फ़रामोश नहीं करेंगे. ये मक्कार और लालची लोग क़ानून और न्याय के नाम पर जो कर रहे हैं तुम्हारे साथ, वह अवाम के दिलोदिमाग़ पर पत्थर की लकीर है. ये तुम्हारा हश्र कर के सबको डराना चाहते हैं, लेकिन अपनी मीडिया, पुलिस, वकील, अदालत और अकूत पूँजी के बावजूद हर दिन तुम्हारे पैरोकार बढ़ते ही जा रहे हैं. इस देश का हर कैंपस अब तुम्हारे लिए तड़प उठा है.

घबराना नहीं भाई तुम्हारा-हमारा क़ाफ़िला बढ़ रहा है. ये सैलाब बनेगा, और तब पुलिस, सेना में मौजूद तुम्हारे भाई समाज के प्रति अपने धर्म का निर्वाह करेंगे. क्यूंकि वो भी देख रहे हैं की निहत्थे, कुपोषित, गहरी चमड़ी और समझ वाले, लाचार से दिखनेवाले नौजवान, जिनकी पीठ पर ताक़त, पूँजी, और तथाकथित क़ानून का हाथ नहीं है, वो तुम्हारे लिए आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, पिट रहे हैं, मगर मान नहीं रहे हैं. वो ही नहीं तुम्हारे और उनके ग़रीब, निरीह सत्ताहीन घरवाले भी अपने बच्चों की आवाज़ के साथ आवाज़ उठा रहे हैं. तुम्हारे अध्यापकगण भी उनके साथ खड़े हैं, जो अपनी नौकरियों को दांव पर लगा रहे हैं, जिन्हे खूब पता है की इसके बाद व्यवस्था उन्हें कैसे विभागीय अनुशासन की फांसी पर चढ़ाएगी, लेकिन वो चुप नहीं है. सत्ता में पेवस्त अधिकारी, एडमिरल, वैज्ञानिक, विभागाध्यक्ष- किसी ने पीठ नहीं दिखाई है.
जब से सत्ता ने तुम पर वार किया है तब से तुम्हारा क़ाफ़िला बढ़ा ही है, इसलिए घबराना नहीं कन्हैया, उमर, अनिर्बान, आशुतोष- देश तुम्हारे साथ है, एक झूठी-मक्कार नाटकबाज़ ‘चाइल्ड-ख़ोर’ माँ ना भी हो तो क्या? तुम्हे दिलोजान से अपना बेटा माननेवाले बढ़ रहे हैं, तुम्हारा ज़िंदा जावेद ख़ानदान बहोत बड़ा है.

शीबा असलम फ़हमी