रिसर्च: गर्भवती महिलाओं को वायग्रा दिए जाने पर पेट में पल रहे बच्चे के लिए हो सकता है खतरनाक!

नीदरलैंड्स में 11 शिशुओं की मौत के बाद एक रिसर्च को रोक दिया गया है। इस रिसर्च के तहत गर्भवती महिलाओं को वायग्रा दी गई थी, जिसका असर बच्चों के जन्म के बाद देखने को मिला।

इस रिसर्च की शुरुआत 2015 में हुई. डॉक्टर उन महिलाओं की मदद करना चाहते थे जिनकी कोख में बच्चों का विकास सामान्य गति से नहीं हो रहा था।

एम्स्टर्डम यूनिवर्सिटी के एकैडमिक मेडिकल सेंटर (एएमसी) ने 11 अस्पतालों के साथ मिल कर प्रयोग किए। दरअसल पहले ऐसे कई शोध हो चुके हैं जो दिखाते हैं कि वायग्रा शरीर में खून के बहाव को तेज करता है। साथ ही गर्भवती महिलाओं में वायग्रा के कारण प्लेसेंटा बेहतर रूप से काम करने लगता है।

इसी को आधार बना कर रिसर्चरों ने 183 गर्भवती महिलाओं पर अपना शोध शुरू किया. इनमें से लगभग आधी महिलाओं को वायग्रा दी गई जबकि बाकी महिलाओं को चीनी की गोलियां दी गई।

रिसर्च के दौरान अकसर ऐसा किया जाता है. ऐसा प्लासीबो को समझने के लिए किया जाता है। प्लासीबो यानी यह भ्रम कि आपने दवा ली है और आप उससे ठीक हो जाएंगे।

कई देशों में डॉक्टर अपने मरीजों को दवा के रूप में चीनी की गोलियां देते हैं और फिर भी मरीज पर सकारात्मक असर देखे जाते हैं।रिसर्च के दौरान जिन 93 महिलाओं को वायग्रा दी गई थी, उनमें से 19 के बच्चों की जन्म के बाद जान चली गई।

रिसर्चरों के अनुसार, इनमें से कम से कम 11 बच्चों की मौत फेफड़ों में हाई ब्लड प्रेशर के कारण हुई। छह अन्य बच्चों के साथ भी ऐसा ही देखा गया लेकिन उनकी जान नहीं गई। डॉक्टरों का मानना है कि ऐसा वायग्रा लेने के कारण हुआ। इसके बाद इस रिसर्च को रोक दिया गया है।

हालांकि जिन 90 महिलाओं को चीनी की गोलियां दी गई थीं, उनमें से भी नौ के बच्चों की जान गई। लेकिन इन बच्चों में फेफड़ों की कोई समस्या नहीं देखी गई। किसी भी महिला की सेहत पर वायग्रा का असर नहीं देखा गया। रिसर्च में हिस्सा लेने वाली कुल महिलाओं में से 15 अभी भी गर्भवती हैं।

एएमसी के अनुसार कई देशों में गर्भवती महिलाओं को वायग्रा दी जाती है लेकिन नीदरलैंड्स में ऐसा नहीं होता रहा है और इस शोध के बाद यह साफ हो गया है कि किसी भी सूरत में गर्भावस्था के दौरान वायग्रा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। हालांकि वायग्रा के बुरे परिणामों पर आगे भी शोध करने की हिदायत दी गई है।