सऊदी अरब – ड्रोन हमले के बाद मुख्य पाइपलाइन से तेल की आपूर्ति रोकी

दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब ने कहा है कि ड्रोन हमले के बाद उसने अपनी प्रमुख पाइपलाइन से कच्चे तेल की आपूर्ति रोक दी है। दरअसल, ईरान की तरफ झुकाव रखने वाले यमन के हूती विद्रोहियों ने सऊदी के अहम प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया है। आपको बता दें कि सऊदी अरब इन विद्रोहियों के खिलाफ सैन्य गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है, जिससे ये काफी नाराज हैं।

एक दिन पहले ही संयुक्त अरब अमीरात के समुद्री क्षेत्र में कई तेल टैंकरों पर हमले की खबर आई थी, जिसके बाद से क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है। ऊर्जा मंत्री खालिद अल फालिह ने कहा कि मंगलवार तड़के लाल सागर की ओर से तेल संपन्न पूर्वी प्रांत होकर गुजरने वाली पाइपलाइन पर दो पंपिंग स्टेशनों को निशाना बनाया गया। आपको बता दें कि ईस्ट-वेस्ट पाइपलाइन से रोजाना कम से कम 50 लाख बैरल तेल की आपूर्ति की जाती है।

सरकारी न्यूज एजेंसी SPA ने फालिह के हवाले से कहा है कि सऊदी की सरकारी तेल कंपनी अरामको ने एहतियाती उपाए किए हैं और पाइपलाइन के संचालन को अस्थायी तौर पर रोक दिया है। हालात का आकलन किया जा रहा है और प्रभावित पंप स्टेशनों के परिचालन को बहाल करने पर काम किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि तेल उत्पादन और निर्यात में कोई रुकावट नहीं है।

1200 किलोमीटर की इस पाइपलाइन के जरिए सऊदी अरब के पूर्वी हिस्से में मुख्य तेल क्षेत्र से पश्चिम में लाल सागर के किनारे बसे शहर यानबू तक कच्चे तेल को भेजा जाता है। खास बात यह है कि पाइपलाइन कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हॉर्मूज जलडमरूमध्य वाले रास्ते के बंद होने की स्थिति में विकल्प के तौर पर काम कर सकती है।

दरअसल, ईरान लगातार धमकियां देता रहा है कि अगर अमेरिका के साथ सैन्य तनाव बढ़ा तो वह जलडमरूमध्य वाले रास्ते को बंद कर देगा। ईरान से तनाव के बीच हाल ही में अमेरिका ने क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए बमवर्षक विमानों और लड़ाकू जहाजों की तैनाती की है। सऊदी के दो जहाजों पर एक दिन पहले ही हमले हुए थे। हालांकि इसमें किसी की जान नहीं गई लेकिन तनाव बढ़ा हुआ है।

जिन स्टेशनों को निशाना बनाने की बात की जा रही है उनमें रियाद के पश्चिम में दवादमी, अफीफ शामिल हैं। फालिह ने मंगलवार की घटना को आतंकी कृत्य करार दिया है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल किंगडम को टारगेट किया गया बल्कि दुनियाभर में तेल आपूर्ति की सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी चोट करने की कोशिश की गई।

उधर, हूती प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुसलाम ने ट्विटर पर कहा कि यमन की जनता पर किए जा रहे जनसंहार के खिलाफ जवाब देने के लिए हमले किए गए। गौरतलब है कि सऊदी अरब और UAE ने अंतरराष्ट्रीय समर्थित सरकार को मजबूत करने के लिए मार्च 2015 में हूतियों के खिलाफ यमन संघर्ष में दखल दिया था।