2019 लोकसभा चुनाव: गौरव अरण्य की कलम से पटना साहिब का हाल!

पटना साहिब, संसदीय क्षेत्र से हैट्रिक बनाने के उद्देश्य से शत्रुघन सिन्हा, तीसरी बार चुनावी मैदान में उतरे हैं. इस सीट पर सातवें चरण के मतदान में 19 मई को वोट डाले जायेंगे. लेकिन इस बार, शॉट गन, महागठबंधन के प्रत्याशी के रूप में पटना साहिब से खड़े हैं. जिनका सामना, बीजेपी के कद्दावर नेता, और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से है.

पटना संसदीय क्षेत्र से बीजेपी के शॉट गन यानि की शत्रुघन सिन्हा दो बार निर्वाचित हो चुके है. पहली बार 2009 में, जब उन्होंने राजद प्रत्याशी विजय कुमार को 1 लाख 66 हज़ार 770 मतों से पराजित किया था. वही कांग्रेस के प्रत्याशी और कलाकार शेखर सुमन को मात्र 61 हजार 308 मत प्राप्त हुए थे. दूसरी बार 2014 में, जब उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी और भोजपुरी अभिनेता कुनाल सिंह को 2 लाख 65 हज़ार मतों के अंतर से पराजित किया था. वही जदयू के गोपाल प्रसाद सिंह को मात्र 91 हज़ार वोट प्राप्त हुए थे.

पार्टी के खिलाफ लगातार बयान देने के कारन शत्रुघन सिन्हा को टिकट मिलना संदेह में था. इधर अभिनेता शत्रुघन सिन्हा ने कांग्रेस को ज्वाइन किया. शत्रुघन सिन्हा के जीत के रिकॉर्ड को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें पटना साहिब से अपना उम्मीदावर बनाया.

लेकिन इस बार शत्रुघन सिन्हा के लिए चुनावी समर आसान नहीं है. 2008 में परिसीमन के बाद से पटना लोकसभा क्षेत्र का विभाजन, पटना साहिब और पाटलिपुत्र में हो गया. जिसके बाद से पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में बीजेपी का कब्ज़ा रहा है. वर्तमान में पटना साहिब में आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में से पांच (बखित्यारपुर,दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार और पटना साहिब) में बीजेपी का कब्ज़ा है, जबकि एक सीट(फतुहा) राजद के पास है.

पटना साहिब का जातीय समीकरण महागठबंधन के साथ नहीं है:
पटना साहिब का जातीय समीकरण भी बीजेपी के साथ रहा है. पटना साहिब लोकसभा में अगड़ी जाति और कायस्थ, निर्णायक भूमिका निभाते है. राज्य में बीजेपी के उभार और कांग्रेस के राजद के साथ गटबंधन के बाद, बिहार में अगड़ी जाति और कायस्थों का जुडाव कांग्रेस से हट कर बीजेपी के साथ हो गया.

पटना के 19 लाख वोटरों में करीब 4 लाख कायस्थ मतदाता है. पटना में एक कहावत है कि ‘क’ से कायस्थ का वोट ‘क’ से कमल को जाता है. दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार और पटना पूर्वी(पटना साहिब) में कायस्थ वोटरों की अच्छी संख्या है. बांकीपुर से नीतिन नवीन और कुम्हरार से अरुण सिन्हा भी कायस्थ विधायक है. इस तरह जातीय समीकरण के अनुसार पटना साहिब में बीजेपी का पलड़ा भारी है.

पटना साहिब से, शत्रुघन सिन्हा के जीत के रास्ते में “तीन देव” खड़े है:
पटना साहिब से, शत्रुघन सिन्हा के जीत के रास्ते में “तीन देव” खड़े है. कुम्हरार से अरुण कुमार सिन्हा, पटना साहिब से नन्द किशोर यादव और बांकीपुर से नीतिन नविन. पटना साहिब विधानसभा सीट पर बीजेपी के वर्तमान विधायक नन्द किशोर यादव 1995 से चूनाव जीतते आ रहे है.

यदि 2015 विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाये, जहाँ उन्हें महज 2792 वोट से जीत मिली थी, तो इन्हें विपक्ष से कभी चुनौती नहीं मिली. नन्द किशोर यादव बीजेपी के कद्दावर नेता है. इनके बार में कहा जाता है कि इनको बीजेपी में वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार है.

पटना वेस्ट यानि की बांकीपुर सीट भी 1995 से बीजेपी के खाते में रही है. जहाँ से नीतिन नविन पिछले दो बार से विधायक है. इससे पहले इस सीट पर नीतिन नविन के पिता, नविन कुमार सिन्हा, जीतते आ रहे थे.

वही कुम्हरार यानि की पटना सेंट्रल सीट पर बीजेपी 1990 से चुनाव जीतते आ रही है. इस सीट से बीजेपी के कद्दावर नेता सुशिल कुमार मोदी 1990, 1995 और 2000 में विधायक रह चुके है. अब इस सीट पर, अरुण कुमार सिन्हा पिछले चार बार से विद्यायक है. अरुण कुमार सिन्हा कुम्हरार सीट पर बीजेपी के स्थापित और महत्वपूर्ण चेहरा बन चुके है.

पटना साहिब संसदीय क्षेत्र के त्रिदेव, नंदकिशोर यादव, अरुण कुमार सिन्हा और नीतिन नविन, कांग्रेस प्रत्याशी और फिल्म अभिनेता, शत्रुघन सिन्हा को खामोश करने के लिए काफी है.

इसके अलावा दीघा विधानसभा क्षेत्र, जो 2008 के बाद अस्तित्व में आई जहाँ बीजेपी की अच्छी पकड है. इस विधानसभा से 2010 में जदयू की पूनम देवी को जीत मिली थी, वही 2015 विधानसभा चुनाव, जब जदयू और राजद ने संयुक्त रूप से चुनाव लड़ा था, इस सीट से बीजेपी के संजीव चौरसिया जीते थे. बख्तियारपुर सीट पर बीजेपी और राजद के बिच आंख मिचौली का खेल चलता रहता है, जो कभी राजद तो कभी बीजेपी के खाते में रही है.

महागठबंधन – चुनावी मैदान में कमजोर है
फेसबुक का एक नोटिफिकेशन आया, जिसमे पटना साहिब संसदीय क्षेत्र से खड़े सभी प्रत्याशियों का लिस्ट था। इस लिस्ट में प्रत्याशियों का वीडियो सन्देश भी जुड़ा था, लेकिन केवल उन प्रत्याशीयों का, जिन्होंने वीडियो सन्देश अपलोड किया था, आर्श्चय की बात यह थी कि सोशल मीडिया के इस दौड़ में, जहां प्रत्येक राजनीतिक दल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने की होड़ में शामिल है, वहाँ केबल बीजेपी प्रत्याशी रवि शंकर प्रसाद का वीडियो सन्देश था।

यह फेसबुक नोटिफिकेशन संकेत है, पिछले दो लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी, पटना साहिब संसदीय क्षेत्र में, बीजेपी संगठित ज़मीनी कार्यकर्तायों के बल पर चुनाव लड़ रही है. वही प्रमुख विपक्षी पार्टी, कांग्रेस के प्रत्यासी शत्रुघन सिन्हा अपने सेलेब्रेटी स्टेटस के बल पर चुनाव लड़ रहे है।

पटना साहिब लोकसभा चुनाव दो गठबंधन के बीच का चुनाव नहीं है, बल्कि यह एक संघटित पार्टी बीजेपी और असंघटित विपक्ष के बिच की लड़ाई है, जिसमे बीजेपी की पकड़ मज़बूत है ।

लेखक- गौरव अरण्य