नजरिया: ‘शहीदों से भी भेदभाव’

कश्मीर में अभी हाल में सुरक्षा कर्मियों और लड़ाकों के साथ झड़प के दौरान 7 जवान शहीद हुए थे जिन में 5 जवानों का संबंध मुसलमानों से था। उसी में एक जवान मुजाहिद खान भी था जो बिहार के भोजपुर जिला के पेरो का रहने वाला था।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

उसका अंतिम संस्कार फौजी सम्मान के साथ हुआ, लेकिन अफ़सोस कि बात यह है कि वहां न तो राज्य के मुख्यमंत्री नितीश कुमार शामिल हुए और न ही अपनी ओर से कोई प्रतिनिधि भेजा। उतना ही नहीं बल्कि मुजाहिद जिस जगह का रहने वाला था वहां के एमपी राजकुमार सिंह हैं जो आजकल केंदीय कैबिनेट में मंत्री के पद पर हैं।

लेकिन उन्होंने भी एक शहीद जवान को श्रद्धांजलि पेश करने के लिए उसके गाँव जाना पसंद नहीं किया। शर्मिंदगी और हैरत तो इस बात पर है कि भोजपुर जिला के डीएम और एसपी में से कोई उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ।

नितीश कुमार ने इतना ज़रूर किया कि अखबारी बयान के जरिए शोक बयान ज़रूर भेजा और चिंता व्यक्त किया। बिहार सरकार की ओर से शहीद मुजाहिद के परिजनों को 5 लाख रूपये का मुआवजा पेश किया गया लेकिन उनके परिजनों ने यह कहते हुए वापस लौटा दिया कि इतनी रकम जहरीली शराब पीकर मरने वालों को भी मिलती है, उनके बेटे ने देश की सुरक्षा की खातिर अपनी जान निछावर कर दी है। ऐसा महसूस होता है कि सरकार ने 5 ;लाख रूपये का मुआवजा देकर एक शहीद और उसके पूरे परिवार के साथ साथ देश की सुरक्षा करने वालों को नीच नजर से देखा है।