मोबाइल फोन के नेटवर्क सिग्नल गायब को इग्नोर न करें! हो सकते हैं सिम कार्ड फ्रॉड के शिकार

सिम कार्ड फ्रॉड आपके मोबाइल ऑपरेटर को बेवकूफ बनाकर आपके बैंक खाते को खाली कर सकते हैं. सिम कार्ड में यूजर डेटा स्टोर होता है और ये यूजर को ऑथेन्टिकेट करते हैं इसलिए बिना सिम के आप किसी नेटवर्क से कनेक्ट नहीं हो सकते. सिम स्वैप फ्रॉड में सिम का इस्तेमाल होता है और इसके लिए इसकी सबसे बड़ी कमजोरी प्लेटफॉर्म एग्नोस्टिसिज्म को निशाना बनाया जाता है. इसलिए मोबाइल फोन का नेटवर्क सिग्नल गायब को इग्नोर न करें क्योंकि आपके सिम कार्ड को धोखेबाज नऐ सिम में ट्रांसफर कर आपके बैंक एकांउट के खाते से सारे पैसे गायब कर सकते हैं. इसे ही सिम स्वैप घोटाला कहा जाता है. इसका शिकार देश में आए दिन हो रहे हैं तीन महीना पहले पुणे के रहने वाले दिनेश कुकरेजा सिम स्वैप फ्रॉड के शिकार हुए जो खबरों में था. झारखंड में इस तरह के फ्रॉड होने की कइ खबरें आ चुकी हैं. इससे पहले इसी तरह के एक फ्रॉड में दिल्ली के एक शख्स ने 13 लाख रुपये गंवाए थे. सिम स्वैप फ्रॉड के जरिए हैकर्स बैंक अकाउंट से लिक्ड सिम ऐक्सेस करके पैसे उड़ाते हैं.

इस फ्रॉड में एक कॉल आती है और कहा जाता है कि ये एयरटेल/वोडाफोन/आइडिया या अन्य प्रतादा की तरफ से है. कॉलर आपसे सिम की जानकारी मांगती है और ऐसा न करने पर सिम बंद डिऐक्टिवेट होने की बात कहती है और लोग अनजाने में सिम कार्ड की डीटेल्स शेयर कर देते हैं जो बैंक अकाउंट से जुड़ा होता है. इसके बाद कॉलर युजर से मैसेज फॉर्वर्ड करने को कहता है जो उनके मोबाइल पर आता है. इस आधार पर कॉलर उसी फोन नंबर का नया सिम ले लेता है और इससे युजर के बैंक अकाउंट की डीटेल्स भी पता चल जाती है जिससे वो लिंक किया गया होता है. जाहिर है इसके लिए कई तरह के टूल्स और ट्रिक्स का यूज किया गया होगा.

कुछ ही समय में युजर को पता चलता है कि उनके बैंक अकाउंट RS ..??????? लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए गए हैं. और इसके बाद आप एफआईआर दर्ज करते हैं. ध्यान रहे कि आप अपनी पर्सनल जानकारी या ओटीपी पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें. खास कर किसी अनजान कॉलर्स को भूल कर भी ओटीपी न दें. कोई भी बैंक या किसी मोबाइल कंपनी का कर्मचारी कस्टमर से पर्सनल डीटेल्स नहीं मांग सकता है. यह वह जगह है जहां जालसाज आपके नेटवर्क प्रदाता को आपके मोबाइल फोन नंबर को दूसरे सिम कार्ड पर स्थानांतरित करने की कोशिश करते हैं। जब आप नए भुगतान करने और ऑनलाइन धन हस्तांतरित करने का प्रयास करते हैं, तो वे आपके बैंक से भेजे गए छह-अंकीय या चार अंकीय सत्यापन कोड चुरा लेते हैं।

ये वन-टाइम पासकोड सुरक्षा की दूसरी परत प्रदान करने वाले होते हैं, जिन्हें टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के रूप में जाना जाता है – लेकिन इन्हें इंटरसेप्ट किया जा सकता है। जालसाजों ने आपके बैंक खाते तक पहुंचने के लिए पहले से ही पर्याप्त जानकारी चुरा लेते हैं, जैसे कि आपका यूजर नेम और पासवर्ड। वे तब पता लगाते हैं कि पीड़ित का नेटवर्क प्रदाता कौन है – जिसे वे आसानी से ऑनलाइन कर सकते हैं – और उन्हें फोन या स्टोर पर बेच सकते हैं। जब आप अपना फोन नंबर एक अलग सिम कार्ड में स्थानांतरित करने का अनुरोध करते हैं, तो प्रदाता आमतौर पर इक्विनिटी साइबर सुरक्षा से आपका नाम, पता, जन्म तिथि और एक या दो सुरक्षा प्रश्न पूछते हैं।

व्यक्तिगत जानकारी, जैसे नाम, पते और जन्म की तारीख, सोशल मीडिया और ऑनलाइन निर्देशिकाओं में आसानी से पाई जा सकती है। ‘धोखाधड़ी करने वाले लोग इन विवरणों को टेक्स्ट, ईमेल या फोन पर लोगों को धोखा देकर प्राप्त कर सकते हैं। सुरक्षा सवालों का पता लगाना भी आसान है।
विशेषज्ञों का कहना है कि नेटवर्क प्रदाताओं को अपने ग्राहकों की पहचान को सत्यापित करने के लिए और अधिक मजबुत उपाय करना चाहिए। वोडाफोन का कहना है कि यह कई सुरक्षा प्रश्न पूछता है और सत्यापन के लिए आपके मोबाइल फोन पर एक बार का एक्सेस कोड भेजता है। ग्राहक वोडाफोन के वॉयस आईडी फीचर का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसमें वॉयस रिकग्निशन सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।