मैट्रिक और इंटर के 1983 से अब तक के छात्रों के सर्टिफिकेट की होगी जांच

फर्जी तरीके से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा देने और सर्टिफिकेट हासिल करने वाले सावधान हो जाएं. जल्द ही उनकी पोल खुलने जा रही है।
जो भी बिहार बोर्ड से नाम बदल कर दोबारा परीक्षा में शामिल हुए होंगे और उसका फायदा उठा कर कहीं नौकरी में कर रहे होंगे, तो उनकी नौकरी भी जा सकती है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने अंकपत्रों को ऑनलाइन करने के लिए एजेंसी का चयन कर लिया है।
मैट्रिक के रिजल्ट के बाद एजेंसी काम शुरू कर देगी. इससे उन तमाम लोगों के सर्टिफिकेट की पोल खुलेगी, जो नाम बदल कर दूसरी बार परीक्षा दी थी।
19 साल तक के छात्रों के अंकपत्र और प्रमाणपत्रों के बनेंगे अलग पेज :
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति उन तमाम छात्रों के अंकपत्र और प्रमाणपत्रों का अलग-अलग पेज बनाने जा रही है, जो पहले मैट्रिक और इंटर की परीक्षा पास कर चुके हैं। इसके लिए 1983 से 2004 तक के अंकपत्र और प्रमाणपत्रों पर काम होगा।
जिस एजेंसी का चयन हुआ है उसके द्वारा हर साल उत्तीर्ण होने छात्रों के रिजल्ट का आॅनलाइन एक टीआर पेज बनाया जायेगा। इस पेज के बनने के बाद उन तमाम फर्जी रिजल्ट को पकड़ा जा सकेगा जो गलत तरीके से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा देकर पास किये होंगे।
1.22 करोड़ परीक्षार्थी का रिजल्ट ऑनलाइन :
1983 से 2004 तक के एक करोड़ 22 लाख 63 हजार 455 परीक्षार्थियों के रिजल्ट की जांच बिहार विद्यालय परीक्षा समिति एजेंसी के माध्यम से कराने जा रही है।
चार महीने के अंदर एजेंसी यह बता देगी कि अब तक बिहार बोर्ड से कितने परीक्षार्थियों ने फर्जी तरीके से मैट्रिक और इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की है।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर ने कहा िक एजेंसी का चयन कर लिया गया है. एजेंसी सारे रिजल्ट की जांच करेगी. इसके लिए हर अंकपत्र और प्रमाणपत्र का एक ऑनलाइन टीआर पेज बनेगा. इससे फर्जी छात्राें को पकड़ा जा सकेगा.