ब्लॉग: सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था और कच्चे तेल का भंडार!

इक़बाल रज़ा, कोलकाता। सऊदी अरब के पास दुनिया का करीब 22% प्रतिशत कच्चा तेल है और पूरी अर्थव्यवस्था इसके निर्यात पर निर्भर है तथा राजस्व में इसका योगदान क़रीब 80% है। सऊदी अरब का आर्थिक विकास काफी हद तक इसी पर निर्भर है जो वैश्विक स्तर पर समग्र मांग-आपूर्ति और वित्तीय बाजार परिदृश्य के आधार पर उतार-चढ़ाव से गुज़रता रहता है।

कच्चे तेल के भाव तथा विश्व में इसके उपयोग में कमी से सऊदी अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। खर्च लगातार बढ़ रहा है, राजस्व कम हो रहा है जिससे बजट संतुलन करना मुश्किल हो रहा है। चूँकि सऊदी अरब के पास आय के अन्य स्रोत सीमित है फलस्वरूप अर्थव्यवस्था दबाव में है।

ऐसे में सऊदी अरब को अपनी अर्थव्यवस्था मज़बूत करने के लिए आय के अन्य स्रोत तलाश करना ज़रूरी था। इसे प्राप्त करने के लिए पिछले कुछ सालों से आर्थिक विविधीकरण (Diversification) पर काम किया जा रहा है जिसमे Aramco जैसी कम्पनियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

सऊदी सरकार की आर्थिक परिवर्तन योजना, विजन 2030 सऊदी अरब के भविष्य का एक रोड मैप है जो अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने की योजना है।

आर्थिक संरचना को बदलने के लिए, इस योजना का विस्तार करते हुए सऊदी अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण (Globalization) किया जा रहा है जो निजी क्षेत्र पर जोर देने सहित आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक विकास को ध्यान में रख कर तैयार किया गया है।

इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय क्षेत्र तथा शिक्षा प्रणाली में सुधार के साथ राष्ट्र के डिजिटल परिवर्तन पर मुख्य फोकस है। इसके लिए, निजी क्षेत्र में विकास को प्रोत्साहित करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए नियमों में सुधार किया जा रहा है।

इस महत्वाकांक्षी योजना को निधि (Fund) देने के लिए, Aramco जैसी कंपनियों का अहम् योगदान है जो दुनिया की सबसे लाभदायक कंपनी के रूप में Apple से भी आगे निकल चुकी है।

लेखक: इक़बाल रज़ा, कोलकाता से.