कश्मीर प्रशासन स्थायी आवास प्रमाण पत्र की प्रक्रिया सरल बनाने पर विचार कर रहा है: भाजपा नेता

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन स्थायी आवास प्रमाण पत्र (पीआरसी) देने की प्रक्रिया को सरल बनाने पर विचार कर रहा है और जन सेवा गांरटी अधिनियम के तहत पीआरसी जारी करने के लिए समयसीमा तय होनी चाहिए। पूर्व उपमुख्यमंत्री कविंदर गुप्ता ने कहा, ‘‘ अगर यह लागू होता है तो यह अच्छा कदम है। साथ में, पीआरसी को ऑनलाइन जारी करने की व्यवस्था होनी चाहिए जैसे जन्म या मृत्यु प्रमाण, विवाह पंजीकरण प्रमाणपत्र समेत अन्य प्रमाण पत्र संबंधित जिलाधिकारी कार्यालय से ऑनलाइन जारी होते हैं। पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन होता है।’’ उन्होंने कहा कि पीआरसी हासिल करने के लिए जरूरी दस्तावेजों को आदेवक पोर्टल पर अपलोड कर सकता है। इसके अलावा इसे राजस्व विभाग से जोड़ा जा सकता और पासपोर्ट जारी करने की तर्ज पर विभाग इसका सत्यापन कर सकता है। गुप्ता ने कहा कि पीआरसी जारी करने को आधार संख्या और उंगलियों के निशान से (फिंगरप्रिंट्स सेसिंग) जोड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पीआरसी जारी करने की पुरानी व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को इस नई प्रक्रिया के जरिए रोका जा सकता है। गौरतलब है कि संविधान का अनुच्छेद 35ए जम्मू कश्मीर विधानसभा को राज्य के ‘स्थायी नागरिकों’ को परिभाषित करने की शक्ति देता है, जिन्हें विशेषाधिकार मिलते हैं। उच्चतम न्यायालय में 35ए को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इसे जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के जरिए 1954 में राष्ट्रपति के आदेश द्वारा जोड़ा गया था। राज्यपाल की अगुवाई वाला राज्य का प्रशासन जम्मू कश्मीर बैंक को सार्वजनिक उपक्रम बनाने समेत हाल में लिए गए विभिन्न फैसलों के लिए आलोचना का सामना कर रहा है, खासतौर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से। पीआरसी जारी करने की प्रक्रिया में बदलाव करने के लिए उठाए गए किसी भी कदम से नया विवाद उठ सकता है। पीपल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने भी प्रशासन के खिलाफ नाराज़गी जताई और कहा कि वह बुनियादी शासन तक खुद को सीमित रखें। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘ राज्यपाल प्रशासन को खुद को बुनियादी शासन तक सीमित रखने की जरूरत है। पीआरसी या जे के बैंक के संबंध में कोई भी बदलाव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। अपनी ऊर्जा को अपनी जिम्मेदारियों तक ही सीमित रखें, जो आप कर नहीं रहे हैं। मेहरबानी करके नई मुसीबतें खड़ी नहीं करें।’