अब राम मंदिर, तीन तलाक़ और कई मुद्दों पर बीजेपी का साथ नहीं देगी जेडीयू!

भाजपा और जदयू में नए सिरे से तनातनी का दौर शुरू हो सकता है। दरअसल लगातार दूसरी बार प्रचंड बहुमत हासिल होने के बाद भाजपा जहां राष्ट्रवादी एजेंडे पर मंजिल पर पहुंचाने की जल्दबाजी में है।

वहीं जदयू ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न होने की घोषणा के बाद साफ संदेश दे दिया है कि 35ए, अनुच्छेद 370, राम मंदिर, तीन तलाक, समान नागरिक संहिता और नागरिकता संशोधन बिल मामले में वह भाजपा का साथ नहीं देगी।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, मंत्रिमंडल में शामिल न होने की घोषणा कर जदयू ने अलग से भाजपा पर दबाव बना दिया है। रविवार को मंत्रिंमडल विस्तार में जदयू ने भाजपा को किनारे कर अपने तेवर गरम करने का भी साफ संदेश दे दिया।

भाजपा और जदयू के बीच इस तनातनी की वजह अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव है। लोकसभा चुनाव में जदयू ज्यादातर उन सीटों पर जीती जो राजद का गढ़ रहा है।

पार्टी को लगता है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व अगर भाजपा अपने राष्ट्रवादी एजेंडे पर जोरशोर से आगे बढ़ी तो राजद के परंपरागत मतदाता (मुस्लिम, यादव और कुछ पिछड़ी जातियां) जदयू के खिलाफ मजबूती से गोलबंद होगी।

खासतौर से जदयू की मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की हसरत अधूरी रह जाएगी। यही कारण है कि जदयू ने सरकार से अलग रह कर राष्ट्रवादी मुद्दों पर खुल कर विरोध करने का विकल्प खुला रखा है।

दूसरा बड़ा कारण वहां राजद में बिखराव का बन रहा अवसर है। जदयू के रणनीतिकारों का मानना है कि राजद में बिखराव की स्थिति में पार्टी कई नेता जदयू को पहली पसंद बनाएंगे। हालांकि अगर राष्ट्रवादी एजेंडे ने तूल पकड़ा तो राजद के असंतुष्ट नेताओं के पास जदयू में आने का विकल्प नहीं बचेगा।

इसके अलावा यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर भाजपा और जदयू के बीच भविष्य में साथ रहने पर नहीं बनी तो कमजोर राजद फिर से जदयू के साथ आने का विकल्प बना सकता है।