विधानसभा की रणनीति में जुट गयीं ममता बनर्जी!

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी राज्य में अपनी पार्टी के लिए भावी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. कुछ मंत्रियों के विभाग बदले तो कुछ की छुट्टी ही कर दी. लोकसभा चुनावों में बीजेपी की ओर से लगे झटके के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश करने वाली तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने अब पार्टी की खामियों की शिनाख्त कर उसको चंगा करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है.

इसके तहत उनकी निगाहें पार्टी के उन नेताओं पर भी है जो कथित रूप से बीजेपी से मिले हुए हैं. दो-तीन वरिष्ठ नेता भी ममता के निशाने पर हैं. 31 मई को होने वाली तृणमूल की अंतिम समीक्षा बैठक में ममता अपनी रणनीति का खुलासा करेंगी.

इधर, कोलकाता नगर निगम के 53 वार्डों में बीजेपी की जीत ने भी पार्टी की चिंता बढ़ा दी है. ‘मिनी विधानसभा’ चुनाव कहे जाने वाले कोलकाता नगर निगम चुनाव अगले साल होने हैं. ऐसे में बीजेपी सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस के लिए गंभीर खतरा बन सकती है.

दूसरी ओर, चुनावी नतीजों के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच होने वाली हिंसक झड़पों में अब तक दो बीजेपी समर्थकों की मौत हो गई है और कम से कम 50 लोग घायल हो चुके हैं.

इस बीच, पार्टी से छह साल के लिए निकाले गए विधायक शुभ्रांशु राय समेत तृणमूल के दो विधायकों और 60 से ज्यादा पार्षदों को अपने पाले में खींच कर बीजेपी ने पांच दिनों के भीतर ममता को दूसरा झटका दिया है.

ममता अब इन झटकों से उबरते हुए भावी रणनीति पर काम कर रही हैं. इसके तहत उन्होंने मंगलवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल करते हुए दो मंत्रियों की छुट्टी कर दी और कई मंत्रियों के अधिकारों में कटौती कर दी.

अबकी लोकसभा चुनावों में जिन राज्यों पर सबकी निगाहें थीं उनमें पश्चिम बंगाल शीर्ष पर था. बीजेपी ने अबकी अपनी सीटें बढ़ाने के लिए यहां पूरी ताकत झोंक दी थी.

नतीजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के दूसरे नेताओं के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच लगातार बढ़ती कड़वाहट के तौर पर सामने आया. लगभग तीन महीने से दोनों दलों और उसके नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का जो दौर चला, उसकी बंगाल के चुनावी इतिहास में दूसरी कोई मिसाल नहीं मिलती.

कोलकाता में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के रोड शो के दौरान होने वाली हिंसा से दोनों दलों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया. अपनी रणनीति में बीजेपी को भारी कामयाबी भी मिली और उसके सीटों की तादाद जहां दो बढ़ कर 18 तक पहुंच गई वहीं वोट भी वर्ष 2014 के 17 फीसदी के मुकाबले बढ़ कर 40 फीसदी से ज्यादा हो गए.

नतीजों के बाद दो दिनों तक चुप्पी साधे बैठी ममता ने इसकी समीक्षा के लिए अपने आवास पर आयोजित पार्टी की आपातकालीन बैठक में अपने इस्तीफे की पेशकश कर सबको हैरत में डाल दिया.

उन्होंने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी पर आपातकालीन हालात पैदा करने, केंद्रीय बलों को तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ इस्तेमाल करने और चुनाव आयोग पर बीजेपी के पक्ष में काम करने का आरोप भी लगाया. लेकिन पार्टी के तमाम नेताओं ने एक स्वर में उनकी इस पेशकश को खारिज कर दिया.

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी