मोबाइल, टैब आपको ऐसे कर रहा है बिमार!

अगर आप भी दिन भर दफ्तर में कंप्यूटर के आगे बैठे रहते हैं और घर आ कर अपने फोन या टैबलेट पर लगे रहते हैं, जो युवा गैजेट्स का इस्तेमाल अधिक करते हैं और लंबे समय तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम करते हैं, उन्हें ‘रिपिटिटिव इन्जरी’ होने की आशंका बढ़ जाती है।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, इस प्रकार के 80 प्रतिशत मामलों का समाधान जीवनशैली में बदलाव से किया जा सकता है, जैसे अच्छा पोषण और भरपूर व्यायाम आदि अपनाकर।

कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल के स्पाइन सेवाओं के प्रमुख डॉक्टर अरुण भनोट का कहना है कि 20 से 40 साल की उम्र वाले प्रोफेशनल्स के बीच रीढ़ से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि रिपिटिटिव स्ट्रेस इन्जरी (आरएसआई) को बार-बार एक ही प्रकार की गतिशीलता और ओवर-यूज की वजह से मांसपेशियों और नसों में दर्द के रूप में परिभाषित किया जाता है। इस स्थिति को ओवरयूज सिंड्रोम, वर्क रिलेटेड अपर लिंब डिसॉर्डर या नॉन-स्पेसिफिक अपर लिंब के रूप में भी जाना जाता है।

डॉक्टर भनोट कहते हैं, इस आयुवर्ग वाले अधिकतर लोग लंबी दूरी की यात्रा करके या ड्राइव करके दफ्तर पहुंचते हैं और इसके बाद पूरा दिन अधिकतर समय एक जगह बैठकर काम करते रहते हैं।

वे कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं, लंबी मीटिंग के लिए बैठते हैं और अपने मोबाइल पर सोशल मीडिया पर व्यस्त रहते हैं। घर पहुंचने के बाद ये लोग किताबें पढ़ने के लिए भी गैजेट का इस्तेमाल करते हैं और पढ़ते-पढ़ते सो जाते हैं।

स्क्रीन का इतना लंबा और अनावश्यक इस्तेमाल रीढ़ की हड्डी पर तनाव डालता है। डॉक्टर भनोट बताते हैं, “इससे लिगामेंट में स्प्रेन का खतरा बढ़ जाता है जो वर्टिब्रा को बांधकर रखता है। ऐसे में मांसपेशियों में कड़ापन आने लगता है और डिस्क में समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है।