नेशनल कान्फ्रेंस उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को अपने उस बयान का बचाव किया जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी जम्मू कश्मीर के विलय की शर्तों को बहाल करने के लिए कड़ा संघर्ष करेगी जिसमें राज्य में ‘सद्र-ए-रियासत और वजीर-ए-आजम’ होने का प्रावधान शामिल है।
उमर ने उत्तर कश्मीर के बारामूला जिले के पट्टन में संवाददाताओं से कहा, ”मैंने कुछ भी गलत नहीं कहा है। मैंने वही दोहराया है जो एक वास्तविकता है।
Gautam,I never played much cricket because I knew I wasn’t very good at it. You don’t know very much about J&K,it’s history or the role of @jknc_ in shaping that history yet you insist on displaying that ignorance for all to see. Stick to stuff you know about, tweet about the IPL https://t.co/2ZSHJclWkt
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 2, 2019
क्या यह सच नहीं है कि जम्मू कश्मीर जिस दिन देश का हिस्सा बना उसका अपना सद्र-ए-रियासत (राष्ट्रपति) और वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) था और 1965 तक था।”
उन्होंने कहा कि यह तब भी उनकी पार्टी का रुख था जब वह केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार में एक मंत्री थे। उन्होंने कहा, ”यह कुछ नयी चीज नहीं है जो कि नेशनल कान्फ्रेंस कह रही है।
जब मैं वाजपेयी के नेतृत्व में राजग सरकार में एक मंत्री था तब भी यह हमारे घोषणापत्र में था, तब भी हम आंतरिक स्वायत्तता और 1953 से पहले की स्थिति की बात कर रहे थे। क्या यह चीजें उस समय कहना सही था, तब मैं अब गलत कैसे हो गया?”
साभार- हिन्दुस्तान लाइव