फेक न्यूज़ को लेकर श्रीलंका ने बनाया सख्त कानून!

श्रीलंका की सरकार ने सोशल मीडिया पर जाली ख़बरें फैलाने और घृणात्मक सामग्री प्रकाशित करने वाले के लिए 5 साल क़ैद की सज़ा की घोषणा की है। एएफ़पी के अनुसार श्रीलंका की सरकार की ओर से यह क़दम ईस्टर आत्मघाती हमलों के बाद सोशल मीडिया पर ग़लत ख़बरें फैलाने और हिंसा पर उकसाने की सामग्री प्रकाशित करने की परिधि में उठाया गया है।

सरकार ने अपने बयान में कहा है कि मंत्रीमंडल ने उप क़ानून मंत्री के उस प्रस्ताव को पास कर लिया है जिसके अंतर्गत अपराधियों को क़ैद के साथ 10 लाख रुपये तक जुर्माना भी हो सकता है। आरंभिक रूप में दोनों अपराधों की परिभाषा बयान नहीं की गयी किन्तु कहा गया है कि नई सज़ाए बताने के लिए पैनल कोड में बदलाव किया जाएगा।

सरकार की ओर से यह कार्यवाही सरकार की ओर से कई बार सामने आने वाले उन आरोपों के बाद सामने आई है कि फ़ेसबुक, ट्वीटर और वाह्टसएप जैसे सोशल मीडिया प्लेट फ़ार्म देश में आन लाइन घृणा फैलाने के लिए प्रयोग हुए।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, श्रीलंका की सरकार पिछले साल मार्च में देश के मध्यवर्ती भाग में मुस्लिम विरोधी हमलों में 3 लोगों के मारे जाने और सैकड़ों घरों, दुकानों, गाड़ियों और मस्जिदों को आग लगाए जाने के बाद इन्टरनेट सेवा बंद कर दी थी।

इन हिंसक घटनाओं के दौरान उग्र हमलावरों ने अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हमलों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म का प्रयोग किया था। ईस्टर आत्मघाती हमलों के बाद भी श्रीलंका के सोशल नेटवर्क पर जाली ख़बरों में वृद्धि हुई है।