सऊदी अरब पर तीसरा ड्रोन से हमला, छिड़ सकती है ज़ंग!

यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन की ओर से लगातार तीसरे दिन सऊदी अरब के नजरान एयरपोर्ट पर ड्रोन हमला यह साबित करने के लिए काफ़ी है कि जहां एक ओर यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों के हौसले बुलंद हैं वहीं सऊदी अरब की सेना का मनोबल गिरा हुआ है और एयर डिफ़ेन्स सिस्टम भी पूरी तरह फ़ेल हो गया है।

पिछले तीन दिन के भीतर गुरुवार को तीसरी बार अंसारुलाह आंदोलन ने घोषणा की कि उसने दक्षिणी सऊदी अरब के नजरान शहर के एयरपोर्ट पर सऊदी सेना की पैट्रियट मिसाइल बैट्री पर यह हमला किया। पैट्रियट मिसाइल ढाल सिस्टम सऊदी अरब ने अमरीका का ख़रीदा था ताकि हर प्रकार के मिसाइल और हवाई हमले को नाकाम बना सके। हर पैट्रियट मिसाइल के बदले सऊदी अरब को कम से कम चालीस लाख डालर अदा करने पड़े हैं।

यमनियों ने इससे पहले राजधानी रियाज़ के पश्चिम में स्थित दो आयल पम्पिंग सेंटर्ज़ को भी निशाना बनाकर महत्वपूर्ण पाइपलाइन को निशाना बनाया था। अंसारुल्लाह के नेता मुहम्मद बुख़ैती ने कहा है कि अंसारुल्लाह की लिस्ट में 300 टारगेट हैं जिन्हें ध्वस्त किया जाना है।

सऊदी अरब ने यमन पर युद्ध तो थोप दिया लेकिन यह सच्चाई है कि उसके पास लड़ने वाले सैनिकों की कमी है। सऊदी अरब अपने आधुनिक युद्धक विमानों, तोपों और मिसाइलों से यह जंग लड़ रह है। उसने सूडान सहित कई अफ़्रीक़ी देशों से किराए के सैनिक हासिल किए हैं।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, सऊदी अरब का आंकलन यह था कि आधुनिक सैन्य उपकरणों की वजह से उसकी सेना को भारी बढ़त हासिल है और यह बढ़त उसे यमन युद्ध में विजय दिला सकती है लेकिन नतीजा यह निकला है कि सऊदी अरब के आधुनिक हथियार भी युद्ध का फ़ैसला नहीं कर पाए हैं।

सऊदी अरब ने यमन में नागरिक प्रतिष्ठानों को तो बहुत नुक़सान पहुंचाया है लेकिन यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों को वह किसी भी मोर्चे पर कमज़ोर नहीं कर पाया।

ड्रोन हमलों ने युद्ध के समीकरणों में बड़ा बदलाव किया है और इससे यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों की ताक़त सामने आई है जो युद्ध के कठिन हालात में लगातार बढ़ रही है।

मंगलवार की सुबह जब नजरान के एयरपोर्ट पर ड्रोन हमला किया गया और शस्त्रागार को निशाना बनाया गया तो हड़कंप मच गया। जहां ड्रोन विमान ने राकेट मारे वहां आग लग गई। बुधवार की सुबह फिर इसी एयरपोर्ट को यमनियों ने ड्रोन हमले का निशाना बनाया और फिर गुरुवार को भी हमला कर दिया।

सऊदी अरब ने दो दिन के हमलों के बाद अपनी चौकसी बढ़ा दी थी लेकिन गुरुवार को ड्रोन हमले में पैट्रियट मिसाइल बैटरी को ही निशाना बनाया गया।

इन ड्रोन हमलों के कई महत्वपूर्ण आयाम हैं। एक महत्वपूर्ण आयाम तो यही है कि इस हमले के लिए इंटैलीजेंस जानकारियां एकत्रित की गईं और टारगेट का बड़ी सफलता के साथ चयन किया गया और फिर उसे ध्वस्त किया गया।

दूसरा महत्वपूर्ण आयाम यह है कि यमनियों ने लगातार तीन दिन हमला करके यह साबित किया है कि उनके हमलों को रोकने के लिए सऊदी अरब के पास कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। इस तरह अमरीका निर्मित पेट्रियट मिसाइलों की उपयोगिता पर गंभीर सवालिया निशान लग जाते हैं।

तीसरा संदेश यह है कि जब यमनी सेना और स्वयंसेवी बल अधिक ज़िम्मेदारी से अपने हमले कर रहे हैं। सऊदी अरब पर इस पूरे युद्ध के दौरान बार बार यह गंभीर आरोप लगता रहा कि वह आम नागरिकों को निशाना बना रहा है।

यहां तक कि कुछ देशों ने उसे हथियार बेचने से इंकार कर दिया। हालिया दिनों सऊदी अरब का समुद्री जहाज़ दो यूरोपीय देशों की बंदरगाहों से ख़ाली लौटा क्योंकि उसे वहां हथियार नहीं बेचे गए। मगर यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों ने सऊदी अरब पर हमले करते समय इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि आम नागरिक निशाना न बनने पाएं।