राहत इंदौरी: ’चोर, उचक्कों की करो कद्र… मालूम नहीं, कौन कब कौन सी सरकार में आ जाएगा’

इस दौर के सबसे मशहूर और काबिल शायर राहत इंदौरी को कौन नहीं जानता है। देश और पुरी दुनिया ने इनके शेरों का खूब लुत्फ उठाया है। दि कपिल शर्मा के टीवी शो में आकर उन्होंने एक शेर ऐसी पढ़ी की सभी ने खूब लुत्फ़ उठाए।
https://youtu.be/K-4KfG2m3bc
इंदौरी ने राजनीति में बढ़ते अपराधीकरण पर तंज सकते हुए ऐसी शायरी सुनाई कि वहां मौजूद दर्शकों सहित नवजोत सिंह सिद्धू भी इंदौरी के इतने मुरीद हो गए कि वह उनके पास जाकर उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया। राहत इंदौरी राजनीति में अपराधियों के शामिल होने पर तंज सकते हुए शायरी का ऐसा तड़का लगाया कि पूरा माहौल ठहाकों से गूंज उठा।

“बन के इक हादसा बाजार में आ जाएगा, जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं, कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा…”

वैसे तो शायरी और मुशायरों को किसी दौर में उर्दू कवित्त की शान माना जाता था और 17वीं सदी में इसे एक खास मकाम तक ले जाने का श्रेय मुगलों को जाता है। वे महफिलों और जलसों के माध्यम से शायरों, कवियों और गजलकारों को सुना करते और इस विधा को भरसक आगे बढ़ाने का प्रयास करते।

हालांकि समय बीतने के साथ-साथ इस विधा की भी रौनक जाती रही. मुशायरे भी अलग-अलग राजनीतिक सोच रखने वाली पार्टियों और शख्सियतों का विस्तार माने जाने लगे।

वे उनकी सोच को लेकर आगे बढ़ने लगे। पहले जहां इसे स्थापित सत्ता की आलोचना के तौर पर माना जाता था। वहीं यह धीरे-धीरे उनकी प्रशंसा करने का मंच बन कर रह गया।