रिसर्च में खुलासा: भारत में पोल्ट्री फ़ार्म की मुर्गियों को दी जा रही है घातक एंटीबायोटिक दवाएं

खोजी पत्रकारिता ब्यूरो द्वारा किए गए एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में फ़ार्म की मुर्गियों को घातक एंटीबायोटिक दिया जा रहा है जिसके परिणाम पूरे विश्व में महसूस किए जाएंगे। अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार भारत में सैकड़ों टन एंटीबायोटिक कोलिस्टिन खेतों में भेज दिया जाता है जिससे मनुष्यों के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा।

इसको मुर्गियों को भोजन में दिया जाता है जो सबसे मजबूत एंटीबायोटिक हैं। मुर्गियों का मोटापा बढ़ाने वाले एंटीबायोटिक से आमजन की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट रही है। भारत में पोल्ट्री फार्म से लिए सैम्पलों में इसकी मात्रा अधिक मिली है। पोल्ट्री फार्म के जिस कचरे का खाद में इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे भी ड्रग रेसिस्टेंट फैल रहा है।

फार्म से निकले अशोधित कचरे का प्रयोग खेती में करने के कारण यह पोल्ट्री फार्मों से बाहर भी फैल रहा है।खेतों के जरिये भूजल और भोजन तक पहुंच सकता है। अगर पोल्ट्री उद्योग में ऐसे ही अंधाधुंध एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल होता रहा तो वर्ष 2030 तक भारत एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल में पहले पायदान पर होगा। एंटीबायोटिक कोलिस्टिन को निमोनिया सहित गंभीर बीमारियों की रोकथाम के लिए दिया जाता है।

भारत में पोल्ट्री फार्मिंग एक बड़ा उद्योग है। बता दें कि वर्ष 2014 में इसके अध्ययन में भी चिकन मीट के नमूनों में बहुत से एंटीबायोटिक जैसे (फ्लूरोक्यूनोलोंस (एनरोफ्लोक्सिसिन और सिप्रोफ्लोक्सिसिन) और टेट्रासाइक्लिन (ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, क्लोरोटेट्रासाइक्लिन, डॉक्सीसाइक्लिन) पाये गए थे।

इन बैक्टीरिया पर पोल्ट्री फार्मों में ज्यादातर इस्तेमाल किये जाने वाली 13 श्रेणियों की 16 एंटीबायोटिक का परीक्षण किया गया। इनमें से 10 एंटीबायोटिक को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मनुष्यों के इलाज के लिये गम्भीर महत्त्व की श्रेणी में रखा है।