हज की फजीलत और बारगाहे रसूल (सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ) की हाजिरी

)मौलाना मोहम्मद मुजाहिद हुसैन हबीबी)हज अरकाने इस्लाम में से एक अहम रूक्न है। अल्लाह तआला ने जिन लोगों को ईमान व इस्लाम की दौलत से सरफराज फरमाया उनमें जो लोग साहबे हैसियत हैं और हज करने की इस्तताअत रखते हैं अल्लाह तआला ने उनपर जिंद

उसवा-ए-इब्राहीमी

(मौलाना निजामउद्दीन फखरूद्दीन)कुरआन में हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम का नाम 69 (उनहत्तर) मकामात पर आया है। आप की जिंदगी के मुख्तलिफ गोशो पर रौशनी डाली गई है। जगह-जगह आप के सिफात बयान किए गए हैं। आप की जिंदगी के पहलुओं को उजागर करते हुए

तीन किस्म के आबिद व जाहिद

(मुफ्ती मोहम्मद अली काजी ) उलेमा ने फरमाया कि आबिदों की तीन किस्में हैं। पहला वह जो जहन्नुम के खौफ से इबादत करे दूसरा वह जो जन्नत की तमअ से इबादत करे तीसरा वह जो शौके इलाही में इबादत करे। कयामत में पहले से यानी रहबानी से कहा जाएगा कि

अब कंप्यूटर पर व्हाट्सऐप का करे इस्तेमाल….

व्हाट्सऐप काफी पॉपुलर मोबाइल चैटिंग एप्लीकेशन है। पूरी दुनिया में व्हाट्सऐप के करोड़ों एक्टिव यूजर्स हैं। मामूली मैसेज के बजाय यूजर्स व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजना ज्यादा आसान समझते हैं। यही नहीं, व्हाट्सऐप के जरिए पिक्चर, वीडियो क

मक्का मस्जिद का तक़द्दुस ख़तरे में, महकमा अक़लीयती बहबूद बेफ़िक्र!

शहर की तारीख़ी मक्का मस्जिद की निगहदाश्तऔर बद इंतेज़ामी के बारे में यूं तो वक़्फ़ा वक़्फ़ा से अख़बारात तवज्जा दिलाते रहे हैं लेकिन अब तो मस्जिद का तक़द्दुस भी ख़तरा में पड़ता दिखाई दे रहा है।

तेलंगाना के अक़लीयती इदारे दीगर रियास्तों के लिए क़ाबिले तक़लीद

सदर नशीन महाराष्ट्रा स्टेट अक़लीयती कमीशन जनाब मुनाफ़ हकीम ने तेलंगाना में सरकारी अक़लीयती इदारों की कारकर्दगी को इतमीनान बख़्श और दीगर रियास्तों के लिए काबिले तक़लीद क़रार दिया। उन्हों ने कहा कि तेलंगाना के अक़लीयती इदारे अक़ल

GHMC की तीन हिस्सों में तक़सीम की मंसूबा बंदी

मजलिस बल्दिया अज़ीम तर हैदराबाद की कारकर्दगी को बेहतर बनाने के लिए उसे तीन हिस्सों में मुनक़सिम करने के मुताल्लिक़ हुकूमत मंसूबा बंदी में मसरूफ़ है। बताया जाता है कि हुकूमत की जानिब से जी एच एम सी के हुदूद में तबदीली लाते हुए उसे त

गाजा में सुरंग और उसका पसमंज़र

गाजा का कंट्रोल संभालने के बाद हमास ने बुंकरो की एक भूलभुलैया बनाना शुरू कर दी। गाजा में सुरंगो का इस्तेेमाल तकरीबन पन्द्रह साल पहले मिस्र की सरहद के नजदीक शुरू हुआ जब हमास ने गैर कानूनी तौर पर अस्लहा स्मगल करना शुरू कर दिया। कुछ

ईद-उल-फित्र के फजायल व मसायल

हर कौम के कुछ खास त्यौहार और जश्न के दिन होते हैं जिनमें उस कौम के लोग अपनी-अपनी हैसियत और सतह के मुताबिक अच्छा लिबास पहनते और उम्दा खाना पकाते-खाते और दूसरे तरीकों से भी अपनी अन्दरूनी खुशी का इजहार करते हैं। यह गोया इंसानी फितरत का

मांगने का ढंग जब देने वाला बताए

कुरआने मजीद में दुआओं के जो लफ्ज आए हैं वह सब बातचीत के तौर पर वारिद हुए हैं कि अल्लाह के बन्दों ने इससे पहले क्या मांगा और किन लफ्जों में मांगा। लेकिन इस बातचीत के पहलू में तालीम भी है। अल्लाह पाक फरमाते हैं कि मेरे बन्दे ने यूं कहा,

शबे कद्र हजार महीनों से बेहतर

रमजान महीनें की रातों में अल्लाह की एक खास रात है जो ‘‘लैलतुल कद्र’’ कहलाती है और वह सबाव के एतबार से हजार महीनों से बेहतर है। रमजानुल मुबारक का आखिरी अशरा अपने अंदर बेशुमार बरकतें और फजीलतें रखता है और लैलतुल कद्र इसी अशरे में आत

सुष्मिता सेन सूरा असर पढ़ती हैं, एतेज़ाज़ अहसन को सूरा इख़लास याद नहीं

सोश्यल मीडीया पर आजकल पिछ्ले साल और चंद साल पहले के वो वीडीयोज़ फिर एक बार दिखाई दे रहे हैं जिस में आला तालीम-ए-याफ़ता क़ानून के माहिर बिसात सियासत पर चालें चलने में अपना जवाब ना रखने वाले पाकिस्तानी सियासतदानों की दीनी तालीम से दूरी

रमजानुल मुबारक की फजीलत, खुसूसियात व बरकात

रमजानुल मुबारक की हर रात, हर दिन, हर लम्हा और सारा महीना खुसूसियात का है। मगर इसमे खास यह है कि इस महीने में कुरआन शरीफ नाजिल हुआ। कुरआन शरीफ लौहे महफूज से आसमान दुनिया की तरफ इसका नुजूल रमजान की सत्ताइसवीं तारीख में हुआ। रमजान की प

रोजेदारों से रोजे का कलाम

मैं माहे सियाम हूं और मेरी इल्मियत में यह बात है कि आप मेरी फजीलत, फलसफे और फैज व बरकत के बारे में उलेमा की वसातत से वाकफियत हासिल करते रहते हैं लेकिन मैं आज आप से पूछना चाहता हूं कि मुख्तलिफ पेशों से ताल्लुक रखने वाले आप मुसलमान सहर

रमजानुल मुबारक और हमारी जिंदगी के कुछ इस्लाह तलब पहलू

दुनिया में पाए जाने वाले मजहबों में सिर्फ इस्लाम की खुसूसियत है कि वह इंसानी जिस्म के साथ-साथ रूह की तर्बियत का माकूल इंतेजाम करता है। इस रूहानी तर्बियत के लिए इस्लाम ने कई वसायल व जराए बताए। उन्हीं में माहे रमजान के रोजो की फर्जि

रमजान से पहले रमजानुल मुबारक की तैयारियां

रमजानुल मुबारक का महीना आने वाला है। यह महीना रहमते खुदावंदी का वह मौसमे बहार है जिसमें अल्लाह तआला की खास इनायतें बंदो की तरफ मुतवज्जो होती है जिसमें बेशुमार इंसानों की मगफिरत की जाती है और जिस की हर घड़ी अजाबे जहन्नुम से आजादी क

वालिदैन और औलाद के हुकूक

इस्लाम वाहिद मुकम्मल निजामे हयात है जो इंसानी जिंदगी के हर पहलू से मुताल्लिक एहकाम देता है और एक नेक समाज तामीर करने की सलाहियत पैदा करता है और रहनुमाई करता है। समाज का एक अहम जुज खानदानी निजाम है और इस खानदान के दो अहम अरकान है- वा

मुजफ्फरनगर: कहीं दंगे की चिंगारी न बन जाए गैंगरेप

आबरू से खिलवाड़ की बढ़ती वारदातें कानून निज़ाम के लिए शोला बन सकती हैं। शाहपुर में जुमे के रोज़ हुए गैंगरेप के मामले में बवाल ने ऐसे ही खतरे का इशारा दिया है। एक दिन पहले कोतवाली के एक गांव में 75 साल की खातून से रेप करने की कोशिश की गई।

अपनी आमदनी का एक हिस्सा अल्लाह के लिए

नबी करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया कि एक शख्स एक जंगल में था उसने एक बादल मे से यह आवाज सुनी कि फलां शख्स के बाग को पानी दे। उस आवाज के बाद फौरन वह बादल एक तरफ चला और एक पथरीली जमीन में खूब पानी बरसा और वह सारी पानी एक नाले में