परनब मुकर्जी का ब्यान

तिलंगाना मसला पर मर्कज़ अपनी सयासी वाबस्तगी का लिहाज़ कररहा है तो उसे मसला की यकसूई मैं दानिस्ता ताख़ीर की सूरत में रौनुमा होने वाले अबतर हालात का सामना करने में मुश्किलात दरपेश होंगी। वज़ीर फ़ीनानस परनब मुकर्जी ने एक ख़ानगी टी वी च

हिंद , अफ़्ग़ान मुआहिदा

सदर अफ़्ग़ानिस्तान हामिद करज़ाई और वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के दरमयान अफ़्ग़ान फ़ौज को तर्बीयत देने के लिए अपनी नौईयत के पहले हिक्मत-ए-अमली पर मबनी शराकतदारी के मुआहिदा पर दस्तख़त होने इस मुआहिदा को जंग ज़दा मुल़्क अफ़्ग़ानिस्तान के

जम्मू-ओ-कश्मीर असंबली में बदनज़मी

जम्मू-ओ-कश्मीर असैंबली में अप्पोज़ीशन पीपल्ज़ डैमोक्रेटिक पार्टी (पी डी पी) और नैशनल कान्फ़्रैंस (एन सी) के दरमयान गर्मा गर्म मुबाहिस ने ऐवान में बदनज़मी की ख़राब मिसाल पेश की है। अप्पोज़ीशन का एहतिजाज हुक्मराँ नैशनल कान्फ़्रैंस के रु

ग़ुर्बत की सतह

हिंदूस्तानी अवाम की सब से बड़ी ट्रेजेडी ये है कि वो मुनाफ़िक़ क़ाइदीन और नाअहल क़ियादत के चेहरे ग़ौर से देखते ही नहै। इस के नतीजा में हुक्मराँ तबक़ा भी हिंदूस्तान की ग़रीब आबादी की तशरीह मनमानी तरीक़ा से अंजाम देता है। मंसूबा बंदी कमीश

गुजरात में इंतिक़ामी सियासत

चीफ़ मिनिस्टर की हैसियत से नरेंद्र मोदी के ज़िम्मेदारी सँभालते ही गुजरात की रियासत ख़बरों में रहने लगी है । वहां मुस्लमानों का क़तल-ए-आम किया गया मुस्लिम नसल कुश फ़सादात हुए तबाहकुन ज़लज़ला आया बम धमाके हुए और अब ये रियासत इस वजह से

बी जे पी में अडवानी का मोक़िफ़

बी जे पी में दाख़िली इंतिशार पार्टी को फूट का शिकार बना सकती है। कल तक क़ाइदाना सलाहीयतों का दावा करते हुए राम मंदिर के नाम पर अवाम के मज़हबी जज़बात की राह पर अपनी रथ यात्रा दौड़ाने वाले अडवानी को आज इस यात्रा की वजह से पार्टी में नंबर द

आंधरा प्रदेश में वुज़रा की जंग

आंधरा प्रदेश में हालात हुकूमत के क़ाबू से बाहर होते जा रहे हैं। जहां एक तरफ़ तिलंगाना रियासत की तशकील का मुतालिबा करते हुए एहतिजाज इंतिहाई शिद्दतों को पहूंच गया है और इस मुआमला में हुकूमत बेबस नज़र आती है वहीं अब रियासत के दो वुज़रा

यू पी ए हुकूमत की मुश्किलात

मर्कज़ में बरसर-ए-इक्तदार यू पी ए हुकूमत की दूसरी मयाद जहां मलिक के अवाम केलिए मुश्किलात और मसाइल का सबब साबित होर ही है वहीं ख़ुद हुकूमत केलिए भी आसानीयां नहीं हैं और वो भी कई तरह के मसाइल में घिर गई है । ख़ुद हुकूमत को भी अपनी बक़ा क

रियास्ती वुज़रा की बदउनवानी

रियास्ती हुकूमत में बदउनवानीयों की निशानदेही करने वाले वज़ीर टेक्सटाइल डाक्टर पी शंकर राव ने वज़ीर-ए-दाख़िला मिस सबीता इंदिरा रेड्डी और वज़ीर एक्साइज़ ऐम वेंकट रामना के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात आइद किए थे कि ओहदेदारों के तबादलों के मुआ

तिलंगाना और मर्कज़ का मोक़फ़

इलाक़ा तिलंगाना अवाम के साथ हुक्मराँ कांग्रेस और मर्कज़ की बेहिसी और मसला से अदम तवज्जही ने मुश्किलात को मज़ीद हआ दी है। कांग्रेस वुज़रा को अपने ही हुक्मराँ पर एतिमाद ना रहा। तिलंगाना के लिए एहतिजाज करने वाले वुज़रा की गिरफ़्तारी और

आई ऐस आई और अमरीका

पाकिस्तान की क़ियादत अगर कोई फ़ैसले करने की सलाहीयत से आरी होने का यूं ही मुज़ाहरा करती रहे तो अमरीका एक दिन इस मुल्क का भी वही हश्र करने का फ़ैसला करलेगा जो इराक़-ओ-अफ़्ग़ानिस्तान का हुआ है। साबिक़ सदर परवेज़ मुशर्रफ़ की बाअज़ पालिसीयों

आज़ाद और ख़ुदमुख़तार ममलकत फ़लस्तीन की हिमायत

वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ने हफ़्ता को अक़वाम-ए-मुत्तहिदा जनरल असैंबली इजलास से ख़िताब किया । डाक्टर मनमोहन सिंह ने अपने ख़िताब में आज़ाद और ख़ुदमुख़तार ममलकत फ़लस्तीन की हिमायत की और उन्हों ने ख़लीजी ममालिक में क़ायम हुकूमतो

2G इस्क़ाम और चिदम़्बरम का रोल

वज़ीर फ़ैनानस परनब मुकर्जी 2G अस्क़ाम के कुछ ऐसे तार छिड़ देते हैं जिस से यू पी ए हुकूमत किसी भी वक़्त ज़द में आसकती है। लेकिन अफ़सोस इस बात का है कि अप्पोज़ीशन मज़बूत नहीं है। 2G अस्क़ाम में साबिक़ वज़ीर टेलीकॉम ए राजा के इलावा यू पी ए हुकू

तिलंगाना : मर्कज़ की बेहिसी कब तक ?

अलैहदा रियासत तलंगाना की तशकील के मुतालिबा पर आम हड़ताल का सिलसिला जारी है । हड़ताल अपने ग्यारह दिन पूरे करचुकी है । इस हड़ताल के नतीजा में ज़िंदगी का तक़रीबन हर शोबा मुतास्सिर है । सरकारी मुलाज़मीन असातिज़ा आर टी सी का अमला वुकला बिरा

अडवानी की वज़ारते अज़मा की दौड़ से दूरी

बी जे पी में क़ियादत की दौड़ ऐसा लगता है कि अब बहुत वाज़िह होने लगी है और शायद इसी वजह से और पार्टी के इमेज को मुतास्सिर होने से बचाने केलिए पार्टी के सीनीयर लीडर मिस्टर एल के अडवानी ने वज़ारत अज़मी की दौड़ से अलैहदगी इख़तियार करली । मिस्

बुरहान उद्दीन रब्बानी का क़तल

अफ़्ग़ानिस्तान में अमन के क़ियाम की कोशिशों में नाकामी की असल वजूहात में एक वजह इस शोरिश ज़दा मुल्क में अमरीका की मौजूदगी भी बताई जा रही है। तालिबान के साथ अमन मुज़ाकरात के लिए अमरीका और करज़ई हुकूमत की नुमाइंदगी करने वाले साबिक़ सद