मेरी कलम के साथ ही शुरू होती है मेरी सोच: गुलज़ार

कोलकाता: गुजश्ता पचास 50 सालो से भी ज्यादा शायरी और फिल्मी गीत लिख रहे गुलज़ार वैसे तो जदीद नस्ल के साथ तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनका कहना है कि वह कलम से कागज पर लिखने की अपनी पुरानी आदत को नहीं बदल सकते.

उर्दू शायर कृष्णा स्वामी सिकंदराबादी आलमी क़ाइदीन से रवाबित में सब से आगे

हमारे शहर हैदराबाद में कई ऐसी शख्सियतें हैं जिन की ग़ैर मामूली सलाहीयतों के बाइस ना सिर्फ़ हिंदुस्तान बल्कि दुनिया भर में उन्हें क़दर की निगाह से देखा जाता है।हैदराबादीयों की सब से अहम ख़ूबी ये हैकि उन्हें मुहब्बत की ज़बान उर्दू (मी

हैदराबाद जो कल था …शाद बानो अहमद

मुहतरमा शाद बानो अपने दौर की मशहूर शख़्सियत, हैदराबाद रियासत के वज़ीर-ए-आज़म महाराजा किशन प्रशाद की नवासी और हैदराबाद के पहले बैन-उल-अक़वामी हवाबाज़ बाबर मिर्ज़ा की दुख़तर हैं। उनके वालिद ने हब्शीगुड़ा में शहर का पहला एरोक्लब शुरू किय

हैदराबाद जो कल था

हैदराबाद जो कल था के सिलसिले में अब तक जिन शख़्सियातों से मुलाक़ातें की गई हैं इनमें कई बुज़ुर्ग और काबिल-ए-क़दर हस्तियां शामिल हैं। क़दीम हैदराबाद की समाजी ज़िंदगी, ख़ुशहाली, तामीरी सरगर्मियां, सहाफ़त, भाई चारा, तालीमी तरक़्क़ी, सियास

हैदराबाद जो कल था- बी. पी. आर विट्ठल

सीनियर आई ए एस ओहदेदार बी पी आर विट्ठल का शुमार उन शख़्सियतों में होता है, जिन्होंने सुकूत-ए-हैदराबाद से पहले और बाद के हैदराबाद को क़रीब से देखा है। निज़ाम की हुक्मरानी के बाद हैदराबाद रियासत और बाद में आंध्रा प्रदेश में हुक्मरानी क

हैदराबाद जो कल था…सय्यद तुराबुल हसन

साबिक़ आई ए एस ओहदेदार तुराब उल-हसन साहब हैदराबाद के एक मशहूर-ओ-मुअज़्ज़िज़ ख़ानदान से ताल्लुक़ रखते हैं। एक ओहदेदार के तौर पर उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख़्तलिफ़ शोबों में नुमायां ख़िदमात अंजाम दी हैं। गुज़िशता साठ , सत्तर बरसों में बदल