केरल हाई कोर्ट ने अख्लाकियत थोपने के मुताल्लिक कवायद के खिलाफ यहां दो नवंबर को तजवीजकर्दा ‘किस ऑफ लव’ प्रोग्राम के सिलसिले में दखलअंदाज़ी करने से आज इनकार कर दिया| उससे पहले रियासती हुकूमत ने किसी भी गैरकानूनी सरगर्मियों के हालत में कार्रवाई करने का तयक्कुन दिया|
फेसबुक यूजर्स के इस प्रोग्राम पर रोक लगाने की मांग के मुताल्लिक दो दरखास्त अदालत के सामने आयी थीं| सरकार ने अदालत को इत्तेला किया कि मुनासिब पुलिस तैनात कर दी गयी है और अगर प्रोग्राम में कोई गैरकानूनी सरगर्मी हुई तो कार्रवाई की जाएगी|
कारगुज़ार चीफ जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एम शफीक की बेंच ने दोनों दरखास्त हल कर दिये| एर्नाकुलम सरकारी Law college और तिरूवनंतपुरम के श्री सत्य साई ओरफेनेज ट्रस्ट के एक एक स्टूडेंट ने ये दरखास्त दायर किये है|
दरखास्तगुजारो ने कहा कि यह प्रोग्राम भादसं और केरल पुलिस एक्ट के कानून की खिलाफवर्जी है और हिंदुस्तान की शकाफत के खिलाफ भी है| कानून के स्टूडेंट चाहते थे कि अदालत एर्नाकुलम जिला मजिस्ट्रेट और शहर के पुलिस कमिश्नर को आवामी मुकाम पर अश्लीलता रोकने का हुक्म दें|
इसी बीच केरल के वज़ीर ए दाखिला रमेश चेन्नितला ने फेसबुक पर लिखा कि वह मानते हैं कि मुज़ाहिरा करने का हक बुनियादी हुकूक है और उसपर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए और उसे दबाया नहीं जाना चाहिए लेकिन मुज़ाहिरीन को कानून निज़ाम के मसले नहीं पैदा करनी चाहिए| अगर ऐसे हालात पैदा होंगे तो पुलिस कार्रवाई से नहीं हिचकेगी|