अमरीका एक बार फिर अलक़ायदा के निशाना पर: हीलारी क्लिन्टन

वाशिंगटन 14 सितंबर (यू एन आई) अलक़ायदा के लोग एक बार फिर अमरीकीयों को ज़क पहुंचाने और खासतौर पर न्यूयार्क और वाशिंगटन को निशाना बनाने की कोशिश कररहे हैं जो किसी केलिए बाइस हैरत नहीं और ना ही इस से कोई फ़र्क़ पड़ता है कि कौन इस इंतिहापसंदी को फ़रोग़ दे रहा है इस का मंबा कहां है और कौन इस का हदफ़ बन सकता है इन ख़यालात का इज़हार करते हुए अमरीकी वज़ीर-ए-ख़ारजा हीलारी क्लिन्टन ने कहा है कि अमरीका इस मुआमले में संजीदा है और हालात से निमटने केलिए वफ़ाक़ी, रियास्ती और मुक़ामी ओहदेदार तमाम इक़दामात कररहे हैं।अमरीका पर दहश्त पसंद हमले की दसवीं बरसी के मौक़ा पर एक तक़रीब में उन्हों ने कहा कि अमरीकीयों ने अह्द किया है कि किसी दूसरे हमले को रोकने केलिए वो सब कुछ करें गे जो उन के इख़तियार में होगा और हमलों के ज़िम्मेदार दहश्तगरदों को शिकस्त दी जाएगी।उन्हों ने कहा कि दस साल बाद हम ने अहम पेश क़दमीयाँ की हैं। हमारी हुकूमत बेहतर तौर पर मुनज़्ज़म ही। हमारे दिफ़ा के इंतिज़ामात ग्यारह सितंबर के मुक़ाबले में ज़्यादा महफ़ूज़ हैं। लेकिन, जैसा कि हम आज देख रहे हैं, हमें अभी तक हक़ीक़ी खतरों का सामना है और मज़ीद काम करना बाक़ी ही।मुहतरमा क्लिन्टन नी कहा कि अमरीका एक खुले माशरी, एक बाअसोल मलिक और एक आलमी लीडर की हैसियत से फलता फूलता रहा है और हम हालत-ए-ख़ौफ़ में नहीं रह सकते और ना कभी रहेंगी,ना अपनी इक़दार को क़ुर्बान करेंगे और ना ही दुनिया से अलग थलग होंगी।इराक़ में जंग अअख़तताम को पहुंच रही ही। अफ़्ग़ानिस्तान में जंग एक उबूरी मरहले में दाख़िल होगई ही। इस तरह करोड़ों लोगों ने इंतहापसंदों के इस इस्तिदलाल को मुस्तर्द करदिया है कि तबदीली सिर्फ़ तशद्दुद के ज़रीये लाई जा सकती ही।इस पस-ए-मंज़र में देखा जाय तो उसामा बिन लादन की मौत ने अलक़ायदा को शिकस्त की राह पर डाल दिया हा।
उन्हों ने कहा कि हम ने ये भी सीखा है कि किसी दहश्तगर्द नैटवर्क को हक़ीक़त में शिकस्त देने के लिए इस के माली वसीलों, भर्ती की सहूलतों और महफ़ूज़ ठिकानों पर हमला करनेके साथ इस के नज़रिए और इस के प्रोपगंडा का तोड़ करने और इस की कशिश को नाकाम बना करने की ज़रूरत ही। इन तमाम मक़ासिद को पूरा करने के लिए ज़हानत के साथ ताक़त इस्तिमाल करने की ज़रूरत होगी , जिसे स्मार्ट पावर कहते हैं , यानी एक ऐसी हिक्मत-ए-अमली जो हमारी ख़ारिजा पालिसी के तमाम वसाइल को बाहम मरबूत करती ही। यानी सिफ़ारत कारी और तर कुयात , पूरी तरह दिफ़ा के साथ मरबूत।हीलारी ने कहा कि आप सभी बिन लादन पर छापे के बारे में जानते हैं। वो 10 बरसों की कोशिशों का हासिल था।वो हज़ारों अमरीकीयों और दुनिया भर से ताल्लुक़ रखने वाले उन लोगों के लिए एक अज़ीम ख़िराज-ए-तहिसीन था जिन्हों ने हमारे साथ काम किया था।अमरीका ने गुज़शता अशरे में दहश्तगरदों को पकड़ने या हलाक करने और उन की मुक़ामी तंज़ीमों और साज़िशों को दिरहम ब्रहम करदेने में बड़ी कामयाबियां हासिल की हैं। लंदन, और लाहौर, मैड्रिड और मुंबई जैसे शहरों पर 91 के बाद से हमले होचुके हैं। हाल ही में अबूजा इस फ़हरिस्त में शामिल हुआ ही।हज़ारों बेगुनाह लोग , जिन में अक्सरीयत मुस्लमानों की थी, हलाक हो चुके हैं।उन्हों ने कहा कि 10 बरसों की के बाद जहां एक तरफ़ अफ़्ग़ानिस्तान और पाकिस्तान में अलक़ायदा की मर्कज़ी क़ियादत नुमायां हद तक कमज़ोर कर दी गई। वज़ीर-ए-ख़ारजा अमरीका नी कहा कि अलक़ायदा का ख़तरा चंद मुक़ामात तक महिदूद रहने के बजाय दूर दूर तक फैल गया ही, ये बात अमरीका के मुफ़ाद में है कि इन हुकूमतों और उन लोगों के साथ जो इस जंग में अगले महाज़ पर हैं, ज़्यादा क़रीबी ताल्लुक़ात क़ायम किए जाएं, और इन्सिदाद-ए-हश्त गर्दी के लिए उन की सलाहीयत में इज़ाफ़ा के लिए में इन की मदद की जाई।हमें चाहीए कि हम इंसदाद-ए-दहश्त गर्दी का एक ऐसा बैन-उल-अक़वामी नैटवर्क तामीर करने में अपनी कोशिशों को वुसअत दें जिस में तेज़ी से और हालात के मुताबिक़ कार्रवाई करने की उतनी ही सलाहीयत हो जितनी हमारे हरीफ़ों में ही। लिहाज़ा हम ने इंसदाद-ए-दहश्त गर्दी के शोबे में सिफ़ारती सतह पर दो तरफ़ा और कसीर फ्रीकी तआवुन की पर ज़ोर मुहिम शुरू की ही। यमन, पाकिस्तान, और अगले महाज़ के दूसरे मुल्कों में दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ जंग की सलाहीयत में इज़ाफे़ में मदद दी ही। इस की एक अच्छी मिसाल इंडोनेशिया ही। जिसे महिकमा-ए-ख़ारजा ने तर्बीयत और साज़ो सामान फ़राहम किया। एफ़ बी आई और महिकमा इंसाफ़ के माहिरीन ने पुलिस और वकलाए इस्तिग़ासा को अपने तजुर्बात में शरीक किया।उन्हों ने मज़ीद कहा कि हम समझते हैं कि लंबी मुद्दत के लिए , आमिराना हुकूमतों के मुक़ाबले में जमहूरीयतें, दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ ज़्यादा अच्छी तरह सेना सिपर हो सकती हैं। लिहाज़ा ये वाज़िह तौर पर अमरीका के मुफ़ाद में है कि इलाक़े में मज़बूत और मुस्तहकम जमहूरीयतों की तरक़्क़ी की हिमायत की जाई। हम यही कुछ कर रहे हैं, और हमारी कोशिश है कि हम अवाम और उबूरी हुकूमतों,दोनों की मदद करें ता कि वो इक़तिसादी तरक़्क़ी के मवाक़े पैदा करें , और क़ानून की हुक्मरानी का बोल बालाकरीं।