अहमदाबाद कार धमाका: झूठ का पुलिंदा साबित हुआ जांच अधिकारी का दावा

मुंबई: इंडियन मुजाहिद्दीन से संबंध के आरोप में गिरफ्तार अफजल उस्मानी पर पनवेल से कार चोरी करके अहमदाबाद और सूरत के सिलसिलेवार बम धमाकों में इस्तेमाल करने के आरोप में मामला दर्ज करने वाला पुलिस अधिकारी, आज पनवेल अदालत में जमीअत उलेमा महाराष्ट्र की जानिब से पेरवी करने वाले वकील एडवोकेट तहव्वुर खान पठान के जिरह के आगे घुटने टेक कर, न केवल अपने सभी पूर्व के बयानात से मुकर गया बल्कि अदालत में उसने इकरार किया कि जांच के दौरान न वह और न उसकी टीम कभी गुजरात गई और न ही इस संबंध में पत्राचार किया गया. और यह भी स्वीकार कर लिया कि पनवेल से किसी दस्तावेज़ को ज़ब्त भी नहीं किया गया.

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बसीरत ओं लाइन के अनुसार, अफजल उस्मानी में पनवेल में कार चोरी का मामला दर्ज किया गया था, जिसके बारे में पुलिस का दावा है कि उसने वो कार अहमदाबाद और सूरत में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में इस्तेमाल किया था, अफजल उस्मानी पर इन सिलसिलेवार बम धमाकों में शामिल होने के साथ ही इंडियन मुजाहिद्दीन से संबंध और कार चोरी के मामले भी दर्ज किए गए थे. जिसमें से एक कार चोरी का मामला है जिसका केस नंबर 343/345/2015 है.
आखिरी सरकारी गवाह के तौर पर इस्तगासा की ओर से इस मामले के जांच अधिकारी को आज अदालत में पेश किया गया. दिफाई वकील एडवोकेट तहव्वुर खान पठान ने बताया कि जांच अधिकारी जब अदालत के सामने पेश हुआ तो अभियोजन उसके बियानात को उचित ठहराते हुए अफजल उस्मानी पर आरोप तय करने का प्रयास करने लगा. जिस पर दिफ़ा की जानिब से मैंने उससे जिरह की और सवाल किया कि पुलिस की जानिब से लगाए गए आरोपों की जांच के लिए गुजरात गया था? गुजरात से आए पुलिस अधिकारियों की एंट्री की थी? होटल के मूल रजिस्टर को वह अदालत के सामने पेश किया था? और इससे जुड़े कई सवालों के जवाब देने से जांच अधिकारी नाकाम रहा. अंततः अदालत में उसने स्वीकार कर लिया कि वह कभी गुजरात गया ही नहीं और न ही इस संबंध में कोई पत्राचार हुआ है. अदालत ने उसे नोट करते हुए आगामी सुनवाई के लिए 18 / नवंबर की तारीख तय की है.
जमीअत उलेमा महाराष्ट्र के अध्यक्ष मौलाना हाफ़िज़ मोहम्मद नदीम सिद्दीकी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अन्य मामलों की तरह इस मामले में भी पुलिस कर्मियों ने आरोपियों को फंसाया है और इस तरह उनकी जीवन को तबाह व बरबाद किया जा रहा है. जमीअत उलेमा महाराष्ट्र अंतिम दम तक बेकसूरों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करती रहेगी. इंशा अल्लाह एक न एक दिन न्याय जरूर मिलेगा.