आंधरा प्रदेश में वुज़रा की जंग

आंधरा प्रदेश में हालात हुकूमत के क़ाबू से बाहर होते जा रहे हैं। जहां एक तरफ़ तिलंगाना रियासत की तशकील का मुतालिबा करते हुए एहतिजाज इंतिहाई शिद्दतों को पहूंच गया है और इस मुआमला में हुकूमत बेबस नज़र आती है वहीं अब रियासत के दो वुज़रा के माबैन खासतौर पर लफ़्ज़ी जंग छिड़ गई है और ये जंग भी चीफ़ मिनिस्टर मिस्टर किरण कुमार रेड्डी के क़ाबू से बाहर होगई है । ये जंग अब राज भवन और फिर हाइकोर्ट तक पहूंच गई है । रियासत के वज़ीर हैंड लोमस-ओ-टेक्स्टाईलस डाक्टर शंकर राव ने रियास्ती वज़ीर-ए-दाख़िला मिसिज़ सबीता इंदिरा रेड्डी और एक और वज़ीर के ख़िलाफ़ कुरप्शन और बदउनवानीयों में मुलव्विस रहने का इल्ज़ाम आइद किया है । उन्हों ने चीफ़ मिनिस्टर पर भी हालात से आँख बंद कर लेने का इल्ज़ाम आइद किया और कहा कि चीफ़ मिनिस्टर उन की शिकायात पर कोई कार्रवाई करने की बजाय ख़ामोशी इख़तियार करने को तर्जीह दे रहे हैं। डाक्टर शंकर ने राव ने इन वुज़रा के ख़िलाफ़ शिकायतों पर मुश्तमिल एक मकतूब हाइकोर्ट को रवाना किया था जिसे अदालत ने एक दरख़ास्त के तौर पर क़बूल करते हुए इन इल्ज़ामात की तहक़ीक़ात का हुक्म दिया है । अदालत के इस हुक्म के साथ ही वज़ीर-ए-दाख़िला सबीता इंदिरा रेड्डी ब्रहम होगईं और वो अपने हामीयों के साथ चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी के कैंप ऑफ़िस पहूंच गईं जहां उन के हामीयों ने शंकर राव के ख़िलाफ़ नारा बाज़ी की । इस के बाद शंकर राव ने राज भवन पहूंच कर गवर्नर मिस्टर ई ऐस ईल नरसिम्हन से मुलाक़ात की और उन्हें शिकायतों पर मुश्तमिल मकतूब सौंपते हुए उन से भी तहक़ीक़ात का मुतालिबा किया है । शंकर राव के राज भवन जाने के कुछ ही घंटों बाद सबीता इंदिरा रेड्डी भी वहां पहूंचें और उन्हों ने भी गवर्नर से मुलाक़ात करते हुए ना सिर्फ ये कि शंकर राव के आइद करदा इल्ज़ामात की तरदीद की बल्कि ख़ुद शंकर राव के ख़िलाफ़ शिकायतों और इल्ज़ामात की फ़हरिस्त भी गवर्नर मौसूफ़ को पेश करदी । इस तरह यासत् के अहम और ज़िम्मेदार वुज़रा के माबैन अमलन जंग शुरू होचुकी है और इस मुआमला में भी एक बार फिर चीफ़ मिनिस्टर बेबस ही नज़र आए । हालाँकि अब वो शंकर राव पर ब्रहम हैं और उन्हें काबीना से अलैहदा करने पर ग़ौर किया जा रहा है । शंकर राव को अमुमन एक ग़ैर मुतमइन शख़्सियत क़रार दिया जाता है और कहा जाता है कि वो हर हालत में बेचैन रहते हैं । वो पहले तो काबीना में शमूलीयत केलिए बेचैन थे और जब काबीना में उन्हें शामिल करलिया गया तो फिर वो अपनी सीकीवरीटी और सलामती के ताल्लुक़ से फ़िक्रमंद रहे । जब मुसलसल कोशिशों के बाद हुकूमत ने उन्हें सीकीवरीटी फ़राहम की तो वो इस से भी मुतमइन नहीं हैं और अब चाहते हैं कि हुकूमत उन की सीकीवरीटी से दस्तबरदार होजाए । शंकर राव ने सब से पहले जगन मोहन रेड्डी की बेशुमार दौलत के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ी और इस पर मुसलसल बयानबाज़ी करते हुए हाइकोर्ट को मकतूब रवाना किया । इसी मकतूब की बुनियाद पर हाइकोर्ट ने जगन मोहन रेड्डी के असासा जात की सी बी आई तहक़ीक़ात का हुक्म दिया है । जब जगन के ख़िलाफ़ तहक़ीक़ात शुरू हुईं तो कांग्रेसियों ने इस का बढ़ चढ़ कर ख़ैर मुक़द्दम किया । लेकिन जब उन्हें शंकर राव ने सबीता इंदिरा रेड्डी के ख़िलाफ़ मकतूब रवाना किया और उन के ख़िलाफ़ भी तहक़ीक़ात शुरू होने वाली हैं तो अब उन्हें निशाना बनाया जा रहा है और मुम्किन है कि उन्हें काबीना से भी ख़ारिज करदिया जाए । जब जगन के ख़िलाफ़ तहक़ीक़ात शुरू हुईं तो कांग्रेसियों ने ये काम अदालती अहकाम की बुनियाद पर शुरू होने का इद्दिआ किया और कहा कि अगर जगन वाक़ई बेक़सूर हैं तो उन्हें वावेला करने की बजाय तहक़ीक़ात का सामना करना चाहीए । इसी तरह अगर अब सबीता इंदिरा रेड्डी के ख़िलाफ़ तहक़ीक़ात शुरू हुई हैं तो उन्हें भी चाहीए कि वो भी अगर बेक़सूर हैं तो अदालती तहक़ीक़ात का सामना करें और अदालत से ख़ुद को बेक़सूर साबित करवाएं । ये भी हक़ीक़त है कि सबीता इंदिरा रेड्डी के ख़िलाफ़ भी तहक़ीक़ात अदालत ही के हुक्म से शुरू हुई हैं ताहम ये अदालती हुक्म शंकर राव के मकतूब की बुनियाद पर ही जारी किया गया है । ताहम सबीता इंदिरा रेड्डी तहक़ीक़ात का सामना करने की बजाय उसे एक अमली जंग की शक्ल दे चुकी हैं और इस मुआमला में शंकर राव भी पीछे नहीं हैं। शंकर राव को होसकता है कि काबीना से ख़ारिज करदिया जाय और ना जाने सबीता इंदिरा रेड्डी के ख़िलाफ़ तहक़ीक़ात का अंजाम क्या हो लेकिन ये हक़ीक़त खुल कर सामने आगई है कि हालात की तरह ख़ुद अपने वुज़रा पर भी चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी का कोई कंट्रोल नहीं है । चीफ़ मिनिस्टर उस वक़्त हरकत में आने का इरादा ज़ाहिर कर रहे हैं जब सूरत-ए-हाल उन के क़ाबू से बाहर होगई है और किसी भी वज़ीर पर लगाम कसना उन के बस में नज़र नहीं आता । चीफ़ मिनिस्टर पर वैसे भी इल्ज़ामात हैं कि वो हालात को कंट्रोल करने की बजाय ख़ामोशी इख़तियार करने में ही आफ़ियत महसूस करते हैं। ख़ुद कांग्रेस हाईकमान को उन के ताल्लुक़ से ऐसी रिपोर्ट पहले भी रवाना होचुकी हैं कि चीफ़ मिनिस्टर ने अपने साथीयों को एतिमाद में लेते हुए तलंगाना एहतिजाज को क़ाबू में करने की कोई कोशिश नहीं की थी । यही वजह है कि अब वुज़रा भी उन के कंट्रोल में नज़र नहीं आते और एक दूसरे के ख़िलाफ़ इल्ज़ामात और जवाबी इल्ज़ामात आइद कर रहे हैं और मुआमला राज भवन और अदालत तक पहूंच चुका है । ये सूरत-ए-हाल रियास्ती हुकूमत के नज़म-ओ-नसक़ की बदहाली और चीफ़ मिनिस्टर की कमज़ोरी को ज़ाहिर करती है जो हुक्मरानी केलिए कोई अच्छा इशारा हरगिज़ नहीं कहा जा सकता ।