आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू हुकूमत के छः माह मुकम्मिल

आंध्र प्रदेश में चीफ़ मिनिस्टर चंद्रबाबू नायडू की ज़ेर क़ियादत तेलुगु देशम हुकूमत अपनी तशकील के 6 माह मुकम्मिल कररही है। नए दारुल हुकूमत का क़ियाम, मईशत की बेहतरी और इस रियासत को तेज़ रफ़्तार तरक़्क़ी के रास्ते पर गामज़न करना चंद्रबाबू नायडू हुकूमत के ये चंद अहम चैलेंजस हैं।

तक़रीबन 10 साल तक अप्पोज़ीशन में रहने के बाद आंध्र प्रदेश की तक़सीम से ब्रहम आंध्रई अवाम की ग़ैरमामूली ताईद के साथ इस रियासत पर 8 जून को दुबारा इक़तिदार हासिल किया। इस के बावजूद नायडू ख़ुद को एक तकलीफ़देह और ग़ैर इतमीनान बख़श सूरत-ए-हाल से दो-चार महसूस कररहे हैं क्युंकि ग़ैर मुनक़सिम आंध्र प्रदेश के ताज का असल नगीना समझा जाने वाला शहरे हैदराबाद तेलंगाना के हिस्से में जा चुका है और फ़िलहाल उनकी रियासत का कोई दारुल हुकूमत भी नहीं है।

16,000 करोड़ रुपये के बजट ख़सारे का सामना है। नायडू की भारी ज़िम्मेदारीयों में ज़रई कर्ज़ों की माफ़ी, ख़ुद इमदादी ख़वातीन ग्रुपों की मदद, मुलाज़मतों की फ़राहमी, और सोश्यल सेक्यूरिटी वज़ाइफ़ वग़ैरा जैसे तेलुगु देशम के चुनाव वादों की तकमील भी शामिल हैं।

चंद्रबाबू नायडू ने छः माह पहले विजयवाड़ा में मुनाक़िदा एक बड़े जल्सा-ए-आम में बहैसीयत चीफ़ मिनिस्टर हलफ़ लेने के फ़ौरी बाद कर्ज़ों की माफ़ी, गै़रक़ानूनी शराब के अड्डों की बरख़ास्तगी की फाईनल पर दस्तख़त किया था।