यूरोप में फ्रांस दूसरी सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश, तो इसलिए फ्रांस में बार-बार हो रहे आतंकी हमले!

पैरिस : यूरोप में जर्मनी के बाद फ्रांस दूसरा सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश है। यहां 47 लाख 10 हजार मुस्लिम रहते हैं। ऐसे में आई.एस. यहां अपना स्लीपर सैल आसानी से एक्टिव कर लेता है। हमले में इंटैलीजैंस और सुरक्षा एजैंसी की बड़ी चूक सामने आई है। फ्रांस सीरिया और ईराक में अमरीकी फौज का साथ देता रहा है इसलिए आतंकी संगठन उसे बार-बार अपना निशाना बना रहे हैं। फ्रांस माली और लीबिया में भी अमरीकी सेना का साथ दे चुका है। उसने विदेशों में जेहादियों से लड़ाई के लिए 10 हजार सैनिक भेज रखे हैं। फ्रांस के दूर-दराज इलाकों में बेरोजगारी के कारण मुस्लिम यूथ आतंकवाद का रास्ता अपना रहे हैं। जानकारों का मानना है कि फ्रांस से 500 से ज्यादा मुस्लिम जेहादियों के साथ लडऩे सीरिया और ईराक तक जा चुके हैं। रिपोर्टों के मुताबिक बास्तील-डे सैलीब्रेशन से पहले दोपहर 3 बजे से पुलिस ने मुख्य सड़क का रास्ता बंद कर दिया था लेकिन हमलावर ने हमले से 9 घंटे पहले से ही यानी दोपहर 2 बजे ही उस इलाके के अंदर ट्रक पार्क कर दिया था।

फ्रांस के प्रधानमंत्री मैन्युल वैल्स ने 14 जनवरी 2015 को कहा था कि फ्रांस अतिवाद और चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहा है ना कि मुस्लमानों के साथ.उन्होंने फ्रांस के संसद में कहा कि जिन इस्लामी बंदूकधारियों ने पेरिस में 17 लोगों का कत्लेआम किया है, उनलोगों ने ‘फ्रांस की आत्मा’ को मारने की कोशिश की है. वे पेरिस हमले में मारे गए सात लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद बोल रहे थे. पेरिस में व्यंग्य पत्रिका शार्ली एब्डो के दफ्तर पर हुए हमले में 12 लोग मारे गए थे जिसमें इस पत्रिका के संपादक सहित सात कार्टूनिस्ट शामिल थे. इधर फ्रांस के दक्षिणी शहर नीस में फ्रांसीसी क्रांति के एक अहम दिन की याद में जारी जश्न के बीच एक चरमपंथी हमला हुआ जिसमें अबतक 84 लोगों की मौत हो चुकी है. फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने इसे एक इस्लामी आतंकवाद का हमला क़रार दिया। फ्रांस के प्रधानमंत्री मैन्युल वैल्स कहते हैं की फ़्रांस अतिवाद और चरमपंथ के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहा है ना कि मुस्लमानों के साथ और फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद इस्लामी आतंकवाद मानते हैं।