आतंक के साये में जी रहे असम के लाखों अल्पसंख्यक, नागरिकता को लेकर डर का माहौल

असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजंस (एनआरसी) के अंतिम मसविदे के प्रकाशन की तारीख नजदीक आने के साथ ही राज्य के लाखों अल्पसंख्यकों में आतंक बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने हालांकि भरोसा दिया है कि वैध रूप से भारत में आने वाले लोगों को कोई दिक्कत नहीं होगी और उनको बाद में भी अपनी नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा। लेकिन बावजूद इसके लोगों के मन में समाया डर खत्म नहीं हो रहा है।

लगभग तीन साल से एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया जारी रहने के बाद अब 30 जुलाई को उसके अंतिम मसविदा प्रकाशित किया जाएगा। इसमें जिनके नाम नहीं होंगे उनको अवैध नागरिक माना जाएगा। लाखों लोगों को धड़कते दिलों से 30 जुलाई का इंतजार है। पहले इसका प्रकाशन 30 जून को होना था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में प्राकृतिक आपदा को ध्यान में रखते हुए इसकी समयसीमा एक महीने बढ़ा दी थी। एनआरसी में जिनके नाम नहीं होंगे उनको विदेशी घोषित कर असम से बाहर निकाल दिया जाएगा।

ध्यान रहे कि असम में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर और उसकी निगरानी में वर्ष 2015 में एनआरसी को अपडेट करने का काम शुरू हुआ था। दो साल से भी लंबे समय तक चली जटिल कवायद के बाद बीते साल 31 दिसंबर को एनआरसी के मसविदे का प्रारूप प्रकाशित किया गया था, जिसमें 3.29 करोड़ में से 1.9 करोड़ नाम ही शामिल थे।

एनआरसी के तहत तहत 25 मार्च, 1971 से पहले बांग्लादेश से यहां आने वाले लोगों को स्थानीय नागरिक माना जाएगा। लेकिन उसके बाद राज्य में पहुंचने वालों को बांग्लादेश वापस भेज दिया जाएगा। कई राजनीतिक दल व मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार अल्पसंख्यकों को राज्य से बाहर निकालने के लिए ही यह काम कर रही है।

ममता ने बांग्लाभाषी मुसलमानों को खदेड़ने का लगाया आरोप 
अल्पसंख्यक संगठनों ने आरोप लगाया है कि नागरिकता की पुष्टि करने की प्रक्रिया त्रुटिहीन नहीं है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत राज्य के विभिन्न अल्पसंख्यक संगठनों ने एनआरसी को राज्य से बांग्लाभाषी मुसलमानों को खदेड़ने की साजिश करार दिया है।

एनआरसी को लेकर आतंकित न हों : राजनाथ
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य के लोगों से एनआरसी को लेकर आतंकित नहीं होने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि एनआरसी का अंतिम मसविदा प्रकाशित होने के बाद किसी को भी जेल या शिविर में नहीं रखा जाएगा। मंत्री ने कहा है कि मसविदे में जिनके नाम नहीं हैं वह लोग भी बाद में विदेशी न्यायाधिकरण के समक्ष अपनी नागरिकता का दावा पेश कर सकते हैं।

राजनाथ सिंह ने साफ किया है कि 30 जुलाई को एनआरसी का महज मसविदा प्रकाशित होगा। उसके बाद दावों और आपत्तियों के लिए पर्याप्त मौके दिए जाएंगे। उन दावों व आपत्तियों की समुचित जांच और उनको सही तरीके से निपटाने के बाद ही अंतिम एनआरसी का प्रकाशन होगा।

क्या कहते हैं राजनीतिक पर्यवेक्षक
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि एनआरसी का मसविदा प्रकाशित होने के बाद राज्य में कानून व व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है। हालांकि केंद्र सरकार की सहायता से राज्य के विभिन्न संवेदनशील इलाकों में भारी तादाद में केंद्रीय बल के जवानों को तैनात कर दिया गया है। पर्यवेक्षकों का कहना है कि 30 जुलाई के बाद पैदा होने वाली स्थिति से निपटना असम की सर्वानंद सोनोवाल सरकार के लिए एक कड़ी चुनौती साबित हो सकती है।

साभार- अमर उजाला