आर्थिक सुधारों के बजाय मोदी हिंदू राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाएंगे! ट्रंप भी चुप्पी बनाए रख सकते हैं : वाशिंगटन पोस्ट

वाशिंगटन पोस्ट ने एक लेख में मोदी की जीत पर चिंता व्यक्त की है। लेख में कहा गया है कि भारत एक विशाल लोकतंत्र है लेकिन मोदी की जीत इसके (लोकतंत्र) के लिए ठीक नहीं है। इसमें चिंता जताई गई है कि पीएम मोदी इस विशाल जनादेश को जरूरी आर्थिक सुधारों को बल देने की बजाय हिंदू राष्ट्रवाद के लिए जनादेश मानेंगे। वहीं, अमेरिका के साथ दोस्ताना संबंधों का फायदा उठा सकते हैं। अमेरिका भी भारत के करीबी संबंध बनाना चाहता है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी पीएम मोदी की प्रशंसा कर चुके हैं। ऐसे में वह अपनी तरफ से चुप्पी बनाए रख सकते हैं।

लेख कहता है कि पीएम मोदी को इस बार की जीत पूरी तरह से राष्ट्रवाद और सांप्रदायिकता के आधार पर मिली है। इसके अनुसार पीएम मोदी पांच साल पहले आर्थिक सुधार, भ्रष्टाचार मुक्त शासन जैसे मुद्दों के बल पर सत्ता में आए थे। वहीं, इस चमत्कारिक नेता का चुनाव में मुद्दा इस बार बिल्कुल ही बदला हुआ था। इस बार का चुनाव प्रचार कश्मीर में आतंकी हमले के जवाब में परमाणु हमला करने जैसे बड़ी-बड़ी बातें की गई। जबकि यह साफ नहीं हो सका है कि बालाकोट में किए गए हवाई हमले में वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान में आतंकी शिविरों को नष्ट किया या नहीं।

भाजपा ने इस बार ऐसे वादे किए जिससे देश के 18 करोड़ मुसलमानों में नाराजगी पैदा होगी। जैसे राम मंदिर का निर्माण। वाशिंगटन पोस्ट ने परोक्ष रूप से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का जिक्र करते हुए कहा है कि इस बार संसद में चुनी गई एक प्रतिनिधि पर आतंकी हमले का आरोप है जिसमें मुसलमान मारे गए थे। इतना ही नहीं इस सांसद ने महात्मा गांधी के हत्यारे को देशभक्त भी बताया था।

पीएम ने हर साल 1 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। इसके करीब पहुंचने के बजाय विकास दर सुस्त पड़ गई और बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी पर पहुंच गई। यह पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है। पीएम की तरफ से गैर उदारवार रवैये को आगे बढ़ाने की बात कही गई है। पीएम मोदी ने भारतीय मीडिया को नापसंद किया है। साथ उन्होंने पिछले पांच साल में एक भी औपचारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की। आलोचना करने वाले कुछ पत्रकारों और गैर सरकारी संगठनों पर दबाव बनाने व डराने की बात भी कही गई है।