आसाराम बापू की गिरफ़्तारी के लिए दर्ख़ास्त

इलहाबाद हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच ने रजिस्ट्रार के दफ़्तर में आज एक वकील मोती लाल यावर ऐडवोकेट ने मफ़ाद-ए-आम्मा की एक दर्ख़ास्त दाख़िल की है जिस में दर्ख़ास्त गुज़ार ने आसाराम बापू को जिन के ख़िलाफ़ एक नाबालिग़ लड़की की इस्मत रेज़ि और जिन्सी इस्तिहसाल की शिकायत दर्ज करवाई गई है ,फ़ौरी गिरफ़्तार करने की गुज़ारिश की गई है।

अदालत ने इस दर्ख़ास्त की समाअत 2 सितंबर को मुक़र्रर की है। दर्ख़ास्त गुज़ार ने अपनी दर्ख़ास्त में तहरीर किया है कि आसाराम बापू के ख़िलाफ़ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई गई है लेकिन पुलिस किसी आम आदमी की सूरत में उसे फ़ौरी तौर पर क़ानून-ए-ताज़ीरात हिंद की दिफ़ा 376 के तहत गिरफ़्तार करलेती।

आसाराम बापू के सिलसिले में ऐसा नहीं किया गया और वो खुले आम नक़ल-ओ-हरकत में मसरूफ़ हैं। अपने जुर्म के बारे में बयानात जारी कररहे हैं। दर्ख़ास्त गुज़ार ने कहा कि एक ही मुल्क में क़ानून के दोहरे मेयारों पर अमल नहीं किया जा सकता। ग़रीब और आम आदमी और किसी रुक्न एसेंबली या रियास्ती वज़ीर के बीच‌ क़ानून की नज़र में कोई फ़र्क़ नहीं है।

दर्ख़ास्त गुज़ार ने कहा कि रियास्ती वज़ीर रघू राज परताब सिंह उर्फ़ राजा भय्या को गिर फ़िगार करने के बाद तफ़तीश करवाई गई थी लेकिन आसाराम बापू के सिलसिले में इसके मुखालिफ‌ कार्रवाई की जा रही है जो गै़रक़ानूनी और ग़ैर दस्तूरी है।