मजलूम अंसारी की हत्या के 8 मुख्य आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा

मजलूम अंसारी और इथ्म्तयाज की हत्या के आरोपियों को शुक्रवार को लातेहार न्यायालय ने  दोहरे हत्या कांड के मुख्य आठ आरोपियों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी है।

obडीजे प्रथम ऋषिकेश कुमार की अदालत ने आठों आरोपियों को सजा सुनाते हुए 25-25 हजार जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं देने पर एक साल का अतिरिक्त सजा होगी। दोषियों में मनोज साहू, अवधेश साव, सहदेव सोनी, प्रमोद साहु, मिथलेश साव, मनोज कुमार साव, विशाल तिवारी, अरूण साव शामिल हैं।

सुबह दस बजे से ही लातेहार कोर्ट में गहमागहमी का माहौल था। बालूमाथ से कई लोग कोर्ट पहुंच गए थे। 2:15 बजे सभी आरोपियों को न्यायालय लाया गया। इस दौरान पुलिस की सुरक्षा में पहुंचे सभी दोषियों के चेहरे उडे़ हुए थे। दोषियों ने रास्ते में जय श्रीराम के नारे भी लगाए। कोर्ट के अंदर किसी को नहीं जाने दिया गया। बुधवार को सभी आरोपियों को दोषी करार दिया गया था। कोर्ट में सरकारी वकील ने आरोपियों को और कड़ी सजा देने की अपील की। सरकार की ओर से पीपी बलराम प्रसाद ने बहस की।

क्या था मामला 
17 मार्च 2016 को झाबर गांव में दो पशु व्यापारी मजलूम अंसारी और इथ्म्तयाज की हत्याकर पेड़ से लटका दी गयी थी। दूसरे दिन यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर गर्मा गया था। बालूमाथ में शव के साथ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ पुलिस की झड़प भी हो गयी थी। जिसमें एसडीएम समेत कई लोग घायल हुए थे। यह झारखंड में मॉब लिंचिंग की पहली घटना थी। अभियुक्तों को शक़ था कि वे (मृतक) गायों की खरीद-बिक्री करते हैं। इस मामले की सुनवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी।

अदालत में इस मामले में पीड़ित पक्ष की पैरवी कर रहे लोक अभियोजक अधिवक्ता बलराम प्रसाद ने बताया कि सुनवाई के दौरान कुल 11 लोगों की गवाही कराई गई थी। उन्होंने बताया कि पुलिस रिपोर्ट में पहले सिर्फ एक आरोपी नामज़द किए गए थे। जांच के बाद एफ़आईआर में सात और नाम जोड़े गए। अदालत ने इन्हें हत्या करने और उससे जुड़े साक्ष्यों को मिटाने की कोशिश का दोषी माना है। लिहाजा, भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 302 और 201 के तहत उन्हें उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गयी।

परिजन बोले, फांसी की उम्मीद थी
मज़लूम अंसारी की विधवा शायरा बीबी इस फैसले से खुश हैं। हलांकि उन्हें उम्मीद थी कि उनके शौहर के हत्यारों को अदालत फांसी की सजा देगी। इन दिनों अपने मायके में रह रही शायरा ने बताया कि अदालत से जमानत पर छूटने के बाद उन अभियुक्तों ने उन्हें गवाही नहीं देने की धमकी दी थी।

इम्तियाज़ ख़ान की मां नजमा बीबी इस ख़बर को सुनते ही रोने लगीं। उन्होंने बताया कि 12 साल का इम्तियाज़ धार्मिक प्रवृति का था, जिस दिन उसकी लाश मिली वो जुम्मे का दिन था। हत्या से एक दिन पहले वह यह कहकर घर से निकला था कि दो दिन बाद वापस घर लौट आएगा। लेकिन, अगली सुबह उसकी लाश पेड़ से लटकती मिली।इम्तियाज ही घर का खर्च चलाता था।

परिजन जाएंगे हाइकोर्ट 
अभियुक्तों के परिजनों का कहना है कि वे मामले को लेकर हाईकोर्ट जाएंगे।