इजतिमाई इस्मत रेज़ि‍-क़त्ल मुक़द्दमा वालदैन सुप्रीम कोर्ट से रुजू

नई दिल्ली 30 नवंबर (सियासत डाट काम) 16 दिसम्बर इजतिमाई इस्मत रेज़ि का शिकार लड़की के वालदैन ने सुप्रीम कोर्ट से रुजू होकर एक मुल्ज़िम को जो इर्तिकाब-ए-जुर्म के वक़्त कमउमर था, फ़ौजदारी अदालत में मुक़द्दमा चलाने की इजाज़त तत्ब की।

उन्होंने अदालत से कमउमर मुल्ज़िमीन की इस तरह की क़ानूनी चाराजोई पर इमतिना से मुताल्लिक़ क़ानून को कुलअदम करने की अदलिया से दरख़ास्त की। 23 साला लड़की की इजतिमाई इस्मत रेज़ि-ओ-क़तल का इस कमसिन को मुजरिम क़रार दिया गया और इर्तिकाब-ए-जुर्म के वक़्त उसकी उम्र 18 साल तक पहुंचने के लिए छः माह कम थी।

इस लिए जस्टिस बोर्ड के क़ानून के तहत उसे ज़्यादा से ज़्यादा तीन साल क़ैद की लाज़िमी सज़ा दी गई। मुतास्सिरा लड़की के वालदैन ने कहा कि 31 अगस्ट को बोर्ड का सुनाया गया फ़ैसला उन्हीं क़बूल नहीं है। उन्होंने दरख़ास्त में कहा कि दस्तूरी जवाज़ को चैलेंज किया जा रहा है इस लिए उनके पास सुप्रीम कोर्ट से रुजू होने के इलावा कोई और रास्ता नहीं है।

बद्री नाथ सिंह और अहलिया आशा देवी जो इस मुतास्सिरा लड़की के वालदैन हैं, अदालत जीव नायल जस्टिस ऐक्ट को ग़ैर दस्तूरी और ग़ैर ज़रूरी क़रार देने की दरख़ास्त की।