इसराफ़ और गैर इस्लामी संस्कार से मुस्लिम समाज बुरी तरह प्रभावित

हैदराबाद 31 अक्टूबर: आबिद सिद्दीक़ी सदर माइनॉरिटीस विकास मंच ने कहा कि मुस्लिम समाज में मौजूदा ख़राबियां असल इस्लामी आदेश से दूरी का परिणाम है। खासतौर पर मुस्लिम विवाह के संबंध में माता पिता के अंदाज़ फ़िक्र इस्लामी तालीमात के बरअक्स है। इस स्थिति में बदलाव अपरिहार्य है तो निकाह को आसान बनाया जाए और गैर इस्लामी संस्कार और पुरानी परंपराओं से मुस्लिम परिवारों को नजात दिलाई जाए।

आबिद सिद्दीकी आज मिलाप गार्डन फंक्शन हॉल रिंग रोड ‘मेहदीपटनम में 67 वीं दु बा दु मुलाकात कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जिस में 3000 माता पिता और अभिभावकों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि निकाह को आसान बनाने का मतलब दिनदार और सलीक़ा शआर लड़की चुनें और बरसर रोज़गार शरीफ लड़के इंतिख़ाब करें। साथ ही लड़के के माता-पिता को चाहिए कि वह दहेज की मांग से परहेज करें। उन्होंने कहा कि मुल्क के मौजूदा हालात से मुस्लमान अपनी सफ़ों में इत्तेहाद पैदा करें और समाज में फैली बुराईयों को ख़त्म करें। उन्होंने कहा कि श्री जाहिद अली खान के नेतृत्व और मार्गदर्शन में दु बा दु आंदोलन के ज़रीया मुसलमानों के दृष्टिकोण और तर्ज़-ए-अमल में सकारात्मक परिवर्तन घटित हो रही हैं।

श्री मुहम्मद ताजुद्दीन ने दु बा दु मुलाकात कार्यक्रम की अध्यक्षता की। श्री अलीम खान सामाजिक संघर्ष कार ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि दहेज और लेनदेन एक तरह की रिश्वत है। मुस्लिम विवाह एक सामाजिक समस्या ही नहीं बल्कि एक धार्मिक मुद्दा है और मुसलमानों को ही इसे हल करना होगा।

उन्होंने कहा कि दहेज की मांग और गैर इस्लामी विवाह मुस्लिम समाज को विनाश के कगार पर पहुंचा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बा ज़मीर और ईमानदार मुसलमान को चाहिए कि वह ऐसी शादी का बहिष्कार करें जो असाधारण और फिजूलखर्ची होती है और जो दहेज व लेनदेन के ज़रीया निर्धारित की जाती है। श्री मुहम्मद ताजुद्दीन ने भाषण में कहा कि शादी से पहले और शादी के बाद भी परामर्श करना चाहिए। उन्होंने माता-पिता को सलाह दिया कि वे शादी से पहले लड़का हो या लड़की के बारे में पूरी जांच करें और संतुष्ट होने के बाद ही शादी तय करें।