इस्लामी तहज़ीब में ख़वातीन के लिए मुकम्मल हिफ़ाज़त की ज़मानत

नई दिल्ली: शाही इमाम मस्जिद फतेहपुर दिल्ली मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम अहमद ने आज नमाज़-ए-जुमा से पहले ख़िताब में कहा कि हाल ही में बैन-उल-अक़वामी यौम ख़वातीन मनाया गया लेकिन किस्म किस्म के प्रोग्राम मुनाक़िद करने की एक रस्म अदा की जाती है, हक़ीक़त में ख़वातीन के तहफ़्फ़ुज़ के लिए ठोस इक़्दामात नहीं किए जाते।

उन्होंने कहा कि मज़हब इस्लाम एक मुकम्मल मज़हब है जिसमें ख़वातीन के तहफ़्फ़ुज़ के लिए मुकम्मल बंद-ओ-बस्त किया गया है। इस्लामी दौर से पहले दूर जहालत में औरतों की बे-हुरमती की जाती थी, लड़कीयों से शदीद नफ़रत थी और उन्हें पैदा होते ही ज़िंदा दफ़न कर दिया जाता था, बेवा औरतों को मनहूस माना जाता था और उन्हें समाज में अछूत बनादिया जाता था बल्कि बेवा औरत को माल की तरह वारिसों में तक़सीम कर दिया जाता था।

मज़हब इस्लाम ने उन्हें तहफ़्फ़ुज़ बख़्शा और तरका में उन्हें हिस्सेदार बनाया, उनके साथ इन्साफ़ करने को मर्दों पर लाज़िम कर दिया गया और शौहरों पर अपनी बीवीयों से हुस्न सुलूक और नफ़क़ा की ज़िम्मेदारी आइद की गई, जिहाद में भी औरतों और बच्चों पर हाथ ना उठाने का हुक्म दिया गया।

जो तालीमात ख़वातीन के हक़ में मज़हब इस्लाम में हैं वो दूसरे मज़ाहिब में नहीं हैं। पैग़ंबर इस्लाम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो लड़कियों की परवरिश मुहब्बत से करेगा उसे जन्नत अता होगी। शाही इमाम ने मुस्लिम ख़वातीन से अपील की कि इस्लामी तहज़ीब की पाबंदी करें, बेपर्दगी और उर्यानियत शदीद गुनाह है।

हुकूमत तन्हा ख़वातीन की हिफ़ाज़त नहीं कर सकती, अपनी हिफ़ाज़त के लिए ख़वातीन को भी फ़िक्र करनी चाहिए, इस्लामी तहज़ीब में मुकम्मल हिफ़ाज़त की ज़मानत है। केरला हाईकोर्ट के जज बी कमाल पाशाह के ख़वातीन को चार शौहर रखने की सलाह पर शाही इमाम ने कहा कि उनका मश्वरा अक़लन-ओ-नक़लन ग़लत है , इस तरह उन्होंने ज़िनाकारी की हिमायत की है और क़ुरआन-ए-करीम के हुक्म का मज़ाक़ उड़ाया है।

वो अगर तौबा ना करें तो ईमान से ख़ारिज होजाएंगे , उनका क़ौल हिन्दुस्तान के आईन के भी ख़िलाफ़ है , हर पर्सनल ला के तहफ़्फ़ुज़ की ज़मानत आईन में दी गई है और जज ने अपनी हद से पार हो कर ये बयान दिया है जिसकी जितनी मुज़म्मत की जाये कम है। मर्दों को एक से ज़्यादा शादी करने की इजाज़त औरतों के तहफ़्फ़ुज़ और उनकी कफ़ालत के तौर पर है ये इजाज़त गोया मशरूत है।

शाही इमाम ने कहा कि अदम रो उद्री और इश्तिआल अंगेज़ी गोया मौजूदा हिन्दुस्तान का इमतियाज़ी वस्फ़ बन चुकी है, हर तरफ़ से इसी तरह की इश्तिआल अंगेज़ी सुनने को मिलती है। कन्हैय‌ की ज़बान काटने पर 5 लाख का इनाम और जान से मारने पर इतना इनाम वग़ैरा वग़ैरा ऐसे इश्तिआल अंगेज़ी करने वालों के ख़िलाफ़ मुक़द्दमा दर्ज होना चाहिए और जल्द से जल्द उन्हें सज़ा दिलाई जाये ताकि मुस्तक़बिल में ऐसी कोई हिम्मत नहीं करसके।

हिन्दुस्तान की गंगा जमुनी तहज़ीब के तहफ़्फ़ुज़ की ज़िम्मेदारी हुकूमत पर है। पहाड़ गंज दिल्ली में शोरा कोठी मस्जिद के इन्हिदाम पर शाही इमाम ने रंज-ओ-ग़म का इज़हार किया और मुतालिबा किया कि इसी जगह पर मस्जिद की दुबारा तामीर होनी चाहिए और मस्जिद को मुनहदिम करने वालों पर क़ानूनी कार्रवाई की जाये|