इस्लाम की मक़बूलियत से बातिल ताक़तें ख़ाइफ़

मज़हब इस्लाम अमन, तरक़्क़ी और इस्तिहकाम(जमा हुवा) का दाई मज़हब है। इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना मुहम्मद साबेर मिफताही बानी मुहतमिम जामिआ इस्लामीया दार उलूम नोमानीया वीलपोर ज़िला निज़ाम आबाद के ज़ेर एहतिमाम मदर्रिसा हज़ा के अहाता में इहानत (अपमान)इस्लाम और इहानत (अपमान)हुज़ूर(pbuh)के ख़िलाफ़ मज़हबी इजलास(मीटिंग) से अपने ख़िताब में कह‌। उन्हों ने कहा के बातिल(गलत) ताक़तें इस्लाम की रोज़ अफ़्ज़ूँ(जयादा) मक़बूलियत( मशहूर ) से बुरी तरह ख़ाइफ़(डरा हुवा) हैं और वो मायूसी के आलम में मज़हब इस्लाम और हुज़ूर अकरम(pbuh) पर उतर आए हैं।

मौलाना ने कहा के गुस्ताख फ़िल्मबनाने वाले और सहाफ़ी को एक तरफा किरदार तक पहुंचाने केलिए हर मुम्किना क़ानूनी कार्रवाई का सहारा लिया जाय और उसे इबरतनाक (भयानक)सज़ा दी जाय ताके मुस्तक़बिल में किसी फ़र्द को भी इस्लाम और पैग़म्बरों के ताल्लुक़ से इहानत (अपमान)का हरगिज़ मौक़ा ना मिल सके।

मौलाना ने कहा के अब तक जो भी इस्लाम और हुज़ूर(pbuh) की बेहुर्मती(निंदा) के मुर्तक़िब हुए इबरतनाक (भयानक )अंजाम को पहूंचे। जनाब मौलाना मुहम्मद तुय्यब सदर मदर्रिस ने अपने ख़िताब में इहानत (अपमान)के वाक़ियात को काबिल मज़म्मत क़रार दिया और कहा के हुज़ूर अक्रम(pbuh) सारे आलम केलिए रहमत बनाकर भेजे गए। मौलाना मुहम्मद अक़ील इमाम ख़तीब जामि मस्जिद वीलपोर ने इजलास(मीटिंग) से अपने ख़िताब में कहा के मज़हब इस्लाम और हुज़ूर(pbuh) के ख़िलाफ़ इहानत(अपमान) के हथियार मग़रिबी ममालिक के इस्लाम दुश्मन हर्बों पर राखी गई है

हर ईमान वाले को अपनी जान, माल और औलाद से ज़्यादा मुहब्बत अपने मज़हब, अपने प्यारे आक़ा हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा(pbuh) से होती है और वो इस्लाम और हज़रत मुहम्मद (pbuh) की शान में ज़र्रा बराबर गुस्ताख़ी को हरगिज़ हरगिज़ बर्दाश्त नहीं करसकता और इस के तक़द्दुस केलिए अपनी जान माल की क़ुर्बानी तक केलिए तैय्यार है।

मौलाना मुहम्मद अक़ील ने बताया के हकूमत हिन्द, हिंदूस्तान में ऐसे वाक़ियात को रौनुमा(ज़हर) होने से पहले सख़्त क़वानीन वज़ा करे और आलमी सतह पर हकूमत हिन्द ऐसे वाक़ियात की मज़म्मत करे। इजलास(मीटिंग) का आग़ाज़(शुरु) तिलावत कलाम पाक से हुव‌। इस के बाद हमद, नात शरीफ़ का नज़राना पेश किया गया।