ईद-उल-अजहा (बकरीद) कल, जानिए कुर्बानी से जुड़ी ये खास बातें…

कल  यानि 22 अगस्त 2018 को ईद-उल-जुहा (बकरीद) मनाई जाएगी। इस दिन इस्लाम धर्म के अनुयायी खुदा के लिए अपनी तरफ से बकरों की कुर्बानी देते है इसे लेकर बाजार में काफी चहल-पहल दिखती है। बकरों की कुर्बानी बकरीद में जरूरी है और इसके लिए इस्लाम धर्म में कुछ नियम बताए गए है जिनका पालन करना बहुत जरूरी होता है।

खुदा ने हजरत इब्राहिम से कहा कि तुम अपने बेटे की कुर्बानी दो। खुदा ने जब इब्राहिम का जज्बा देखकर उनके बेटे की जगह एक जानवर को बदल दिया।

बकरीद के मौके पर बकरे की कुर्बानी एक प्रतीकात्मक कुर्बानी होती है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि हर किसी को इस मौके पर बकरे की कुर्बानी देनी ही होती है।

– कुरान में लिखा गया है कि अल्लाह के पास हड्डियां, मांस और खून नहीं पहुंचता है। पहुंचती है तो खुशु यानी देने का जज्बा।

– कुर्बानी ईद की नमाज के बाद की जाती है, इससे पहले कुर्बानी नहीं दी जा सकती।

फुका में कुर्बानी का एक बड़ा नियम यह है कि जिनके पास 613 से 614 ग्राम चांदी हो यानी आज के हिसाब से इतनी चांदी की कीमत के बराबर जिनके पास धन हो उस पर कुर्बानी फर्ज है यानी उसे कुर्बानी देनी चाहिए।

– कुर्बानी  देने वाले के ऊपर उस समय कर्ज नहीं होना चाहिए साथ ही उसके पास उस समय यह धन उपलब्ध होना चाहिए चाहे वह फिक्स डिपॉजिट ही क्यों न हो।

अगर कोई व्यक्ति कुरान के नियमानुसार अपनी कमाई का ढ़ाई प्रतिशत दान देता है इसके बाद सामाजिक कार्यों में अपना धन कुर्बान करता है तो यह जरुरी नहीं है कि वह बकरे की क़ुरबानी करे ।