उर्दू वालों के वोट चाहीए लेकिन उर्दू में होर्डिंग्स नहीं

हैदराबाद 08 जनवरी: शहर हैदराबाद जो दुनिया-भर में उर्दू ज़बान के मर्कज़ की हैसियत से अपनी शिनाख़्त रखता है लेकिन जब सियासी मुफ़ादात की तकमील का मरहला आता है तो उर्दू के साथ नाइंसाफ़ी साफ़ तौर पर दिखाई देती है।

ग्रेटर हैदराबाद मुंसीपल कारपोरेशन के चुनाव के लिए शहर में मुख़्तलिफ़ जमातों की तरफ से होर्डिंग्स और पोस्टर्स की मुहिम का आग़ाज़ हो चुका है लेकिन अफ़सोस कि उर्दू दां तबक़ा के वोट की असल दावेदार जमात ने ख़ुद उर्दू ज़बान को फ़रामोश कर दिया है। शहर में अहम मर्कज़ी मुक़ामात पर टी आर एस और मुक़ामी सियासी जमात के कई होर्डिंग्स और पोस्टर्स आवेज़ां किए गए जिनमें अपने कारनामों का तज़किरा करते हुए वोट की अपील की गई है।

टी आर एस ने ना सिर्फ पुराने शहर बल्कि नए शहर के इलाक़ों में भी उर्दू ज़बान में होर्डिंग्स और पोस्टर्स आवेज़ां किए ताकि उर्दू दां तबक़ा की तवज्जा मबज़ूल की जा सके। टीआरएस का ये इक़दाम यक़ीनन काबिल-ए-सिताइश और हुकूमत के इस वादे की तकमील है जिसमें उर्दू की तरक़्क़ी का यक़ीन दिलाया गया है।

सवाल ये पैदा होता है कि क्या इस जमात को उर्दू दां तबक़ा के वोट की ज़रूरत नहीं या फिर पार्टी में उर्दू से वाक़फ़ीयत रखने वाले अफ़राद कम हो चुके हैं। जिन दौलतमंद अफ़राद ने क़ियादत को ख़ुश करने के लिए होर्डिंग्स और पोस्टर्स आवेज़ां किए वो उर्दू से ना-बलद दिखाई दे रहे हैं या फिर ख़ुद पार्टी ने उन्हें ज़बानों की निशानदेही कर दी जिसमें उर्दू शामिल नहीं। हैरत तो इस बात पर है कि उर्दू आबादी के मर्कज़ पुराने शहर के बाब उल दअखिला पर मुक़ामी सियासी जमात की होर्डिंग सिर्फ़ अंग्रेज़ी ज़बान में है।

पुराने शहर के बाज़ इलाक़ों में भी उर्दू दां तबक़ा को मुक़ामी जमात के अंग्रेज़ी होर्डिंग्स देखकर हैरत हुई। पुराना शहर वही इलाक़ा है जहां डॉ एम चिन्ना रेड्डी की क़ियादत में उर्दू बचाओ तहरीक का आग़ाज़ किया गया था और तारीख़ी चारमीनार से ज़बरदस्त रैली मुनज़्ज़म की गई थी।

इस मुहिम में मुक़ामी जमात की इसवक़्त की क़ियादत ने अहम रोल अदा किया था लेकिन आज वही पार्टी उर्दू को इस का मुसतहक़ा मुक़ाम देने में नाकाम हो चुकी है।