उर्दू सिर्फ़ एक तबक़ा की ज़बान नहीं: वसीम बरेलवी

भोपाल। 30दिसंबर । नामवर शायर वसीम बरेलवी ने कहा कि ये कहना ग़लत है कि उर्दू सिर्फ़ एक तबके की ज़बान है। वसीम बरेलवी ने कहा कि उन्हें इस बात पर कोई शक नहीं कि उनके दिमाग़ में उर्दू सिर्फ़ मुस्लमानों की ज़बान नहीं है बल्कि ये एक एसी ज़बान है जो हिंदूस्तान में पैदा हुई और यहीं पली बढ़ी।

चुनांचे ये सिर्फ़ एक तबके से मुताल्लिक़ नहीं होसकती। उन्होंने कहा कि आज़ाद हिंद से क़बल उर्दू अवाम की ज़बान थी, लेकिन इस में मुख़्तलिफ़ वजूहात के बिना पर तब्दीलियां आई जब कि मुल्क ने आज़ादी हासिल करली। वसीम बरेलवी को बावक़ार फ़िराक़ बेन उल-अक़वामी एवार्ड अता किया गया है। उन्होंने कहा कि उर्दू शायरी इंतिहाई मीठी शायरी है, क्योकी ये जज़बात का पूरी शिद्दत के साथ इज़हार करती है।