एक सानिहा

रियासत आंधरा प्रदेश में वैसे कई सानिहात गुज़रे हैं, हुकूमतों ने इंसानी साज़िशों और ग़लतीयों से होने वाले सानिहात की रोक थाम के लिए क़ानून बनाए हैं, मगर सख़्त क़वानीन के बावजूद जब इंसानी ज़िंदगीयों को बाअज़ इंसानों की साज़िशों और ग़लत कामों से नुक़्सान पहूँचता है तो हुकूमत को सख़्त इक़दाम करने की ज़रूरत होती है।

रियासत में ज़हरीली शराब से मरने वालों की तादाद 17 हो गई। इस से क़बल मग़रिबी बंगाल में भी ज़हरीली शराब के बाइस 100 से ज़ाइद अफ़राद फ़ौत हुए थी। हुकूमतों ने इस तरह के वाक़ियात की रोक थाम के लिए सख़्त कार्यवाहीयां करने का ऐलान किया, लेकिन देखा ये जाता है कि सरकारी मिशनरी गुंडा या मुनाफ़ा ख़ौर माफ़िया के हाथों का खिलौना बन जाती है।

इन की साज़िशों के नतीजा में रियासत की एक्साइज़ पालिसी नाकाम हो चुकी है। हर गुज़रते दिन को सोगवार बनाने वाली हरकतों को रोकने के लिए हुकूमत कोई दिलचस्पी ना दिखाई तो हालात मज़ीद अबतर होंगी।

चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने बज़ाहिर ज़हरीली शराब सानिहा के बाद उस की तहक़ीक़ात के लिए ज़िला कृष्णा के कलैक्टर सैयद अली मुर्तज़ा रिज़वी को हिदायत दी है कि वो मेला वर्म मंडल में पोरटा नगर का दौरा करें और ज़हरीली शराब सानिहा के बाद के वाक़ियात का जायज़ा लें।

इस वाक़िया के लिए ज़िम्मेदार अफ़राद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की हिदायत तो दी गई है, मगर ज़िला कलेक्टर की रिपोर्ट और ख़ातियों की निशानदेही के बावजूद सरकारी मिशनरी कोई कार्रवाई करने में नाकाम हो तो मसला जूं का तूं बरक़रार रहेगा।

हुकूमत को इस वाक़िया पर ध्यान देने की ज़रूरत उस वक़्त पेश आई जब ज़हरीली शराब से मरने वालों के अरकान ख़ानदान ने नाशों को लेने से इनकार करते हुए कबायली अवाम के साथ रवा रखे गए सुलूक पर एहतिजाज किया।

वाक़िया के 48 घंटों बाद जब हुकूमत ऐक्शण में आई तो मुतवफ़्फ़ी के हर ख़ानदान को इंदिरा माँ इमकना स्कीम के तहत मकानात फ़राहम करने का वाअदा किया गया। तेलगुदेशम और बाएं बाज़ू पार्टीयों ने बरवक़्त मुआमला की संगीनी का नोट लिया और महलूक अफ़राद के विरसा को फी कस 10 लाख रुपय अदा करने के लिए हुकूमत पर ज़ोर दिया। गुज़शता दो साल के दौरान रियासत में इस तरह का दूसरा सब से बड़ा सानिहा है।

दो साल पहले मशरिक़ी गोदावरी के अमलापोरम में भी इसी तरह के वाक़िया में 18 अफ़राद फ़ौत और 10 दीगर अफ़राद की बीनाई चली गई थी, मगर उस वक़्त हुकूमत ने सानिहा को संजीदगी से नहीं लिया और शराब के नाम ज़हर फ़रोख़त करने वालों को खुली छूट मिल गई।

हुकूमत के पीछे जो खु़फ़ीया हाथ हैं वो शराब माफ़िया के साथ मिल कर मौत का तमाशा दिखाने में मशग़ूल हैं, मगर अब किरण कुमार रेड्डी हुकूमत को फ़ौरी हरकत में आकर इस वाक़िया के हवाले से उन माफ़िया के तमाशा को आख़िरी तमाशा बनाना होगा।

अपोज़ीशन क़ाइद सदर तेलगुदेशम चंद्रा बाबू नायडू ने इस वाक़िया के लिए हुकूमत की नाकाम पालिसीयों को ज़िम्मेदार ठहराया है। नए साल के मौक़ा पर ग़रीबों की ज़िंदगीयों के साथ खिलवाड़ करने वाले गै़रक़ानूनी शराब कशीद करने वालों को खुली छूट देने की वजह से कई अफ़राद फ़ौत हुई।

हुकूमत शराब के गै़रक़ानूनी ब्योपारियों और इस से वाबस्ता सिंडीकेट की हौसलाअफ़्ज़ाई करते हुए इंसानी जानों का सौदा कर रही है।

रिश्वत सतानी की रोक थाम में नाकाम हुकूमत इस लानत को बढ़ावा दे कर वज़ारतों और महिकमों को रिश्वतखोरी के अड्डे बना रही है, जिस से ज़हरीली शराब जैसे संगीन सानिहात रौनुमा होरहे हैं। ऐसा मालूम होता है कि हुकूमत ने ग़ैर समाजी कामों को बढ़ावा दे कर ग़लत तरीक़ा से रक़ूमात बटोरने का ज़रीया पैदा कर लिया है।

ये बड़ी बदबख़ती की बात है कि मर्कज़ी सतह पर हुकूमत और कांग्रेस पार्टी मिल कर रिश्वत सतानी के ख़िलाफ़ मुहिम को सयासी तौर पर नाकाम बनाने की कोशिश कर रही है और रियास्ती सतह पर रिश्वत सतानी के वाक़ियात को बढ़ावा दे कर मसाइल पैदा किए जा रहे हैं।

बहबूद की इस्कीमात के लिए फंड्स की फ़राहमी के लिए शराब के कारोबार को वुसअत देने की वजह से रियासत में फिर एक बार मालीयाती तबाही और ग़रीबों की मौत वाक़्य हो रही है।

माज़ी में सरकारी तौर पर नशा बंदी का नफ़ाज़ सख़्ती से होगया था अब हुकूमत ने इस नशा बंदी की पालिसी को वापिस लेकर निशा को आम करने की भयानक ग़लती की है, जिस के नतीजा में रियासत के कोने कोने में इस लानत को फ़रोग़ दिया जा रहा है।

शहरों में भी खुले आम सड़कों पर शराब फ़रोख़त होने के साथ खुले आसमान के नीचे पीने का भी रिवाज बढ़ता जा रहा है। इस तरह के मुनाज़िर शहरों में हर जगह उभर रहे हैं।

शरीफ़ शहरीयों को ये मुनाज़िर और शराब की दूकानों में ही शराबखानों को खोल देने से राहरू हज़रात को आए दिन मुख़्तलिफ़ तल्ख़ तजुर्बात से दो-चार होना पड़ रहा हैं। जब कोई बड़ा सानिहा होता है तो हुकूमत सिर्फ वक़्ती कार्यवाहीयां करने का मुज़ाहरा करती है।

एक्साइज़ महिकमा के ख़ाती ओहदेदारों को मुअत्तल करदिया जाता है या उन के तबादले अमल में लाए जाते हैं, लेकिन मुस्तक़िल हल तलाश करने में कोई दिलचस्पी दिखाई नहीं देती या सरकारी ज़िम्मेदारी पूरा करने का एहसास पैदा नहीं होता।

चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी हाईकमान के कठपुतली बने हुए हैं। वो बेबस हैं और कोई फ़ैसला करने से क़ासिर हैं, जिस के नतीजा में रियासत का नज़म-ओ-ज़बत कोई सख़्त क़दम उठाने से क़ासिर है। ये सिलसिला यूं जारी रहे तो सरकारी निज़ाम भयानक शक्ल इख़तियार कर जाएगा।