कठुआ रेप: तो इस वजह से पीड़ित परिवार ने वकील दीपिका को हटाया?

इस साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर के कठुआ में 8 साल की बच्ची से हुए रेप का मामला एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार इसके पीछे की वजह पीड़िता की वकील हैं. पीड़िता के परिवार ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए वकील दीपिका सिंह राजावत को हटा दिया है. पीड़िता के पिता ने इसके लिए पठानकोट कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया है.

बता दें कि कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ हुआ रेप का केस कई दिनों तक तो ठंडे बस्ते में था. इस बीच कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों ने मामला उठाया. उसके बाद धीरे-धीरे केस देश में एक बड़ा मुद्दा बन गया. इसी बीच दीपिका सिंह राजावत ने पीड़िता की तरफ से केस लड़ने की पहल की. इसके साथ ही मीडिया में काफी चर्चित हो गईं. उनके बयान लगातार सुर्खियां बनते रहे. इस दौरान उनपर हमले का प्रयास भी हुआ और जान की धमकी भी मिली.

कम लेने लगी थीं इंट्रेस्ट
इस बीच पीड़िता के पिता ने पठानकोट कोर्ट में एक अर्जी देकर दीपिका को हटाने की मांग की. इसके पीछे उन्होंने दीपिका की तरफ से जान का खतरा का हवाला, केस में कम इंट्रेस्ट लेना और कोर्ट में न जाना कारण बताया गया है. उन्होंने कहा कि वह न तो इंट्रेस्ट ले रही थी और न ही कोर्ट में सुनवाई के दौरान उपस्थित रहकर पक्ष रख रही थीं.

दो-तीन बार ही आईं कोर्ट
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने पीड़िता के परिवार के सूत्रों के अनुसार लिखा है कि दीपिका आत्ममुग्ध हो गईं थीं, जिससे परिवार आहत था. वह केस पर ध्यान भी नहीं दे रही थीं. वह इस केस की वैधताओं को लेकर भी अनजान थीं. वह कोर्ट में भी कभी-कभी ही आती थीं. इसके पीछे उन्होंने जान के खतरे का हवाला दिया था. वह कोर्ट में दो या तीन बार ही आई हैं.

नए सिरे से जांच की याचिका पहले ही हो चुकी है खारिज
बता दें कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सनसनीखेज कठुआ सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले की नए सिरे से जांच के लिये दायर याचिका खारिज कर दी थी. इस मामले के एक आरोपी ने पहले की गयी जांच को दुर्भावना से प्रेरित बताते फिर से जांच की मांग की थी. न्यायमूर्ति उदय यू ललित और नयायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड की पीठ ने मामले में दो अन्य आरोपियों की एक अन्य याचिका भी खारिज कर दी जिसमें मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी को देने की मांग की गई थी. दोनों याचिकायें खारिज करते हुये पीठ ने कहा कि आरोपी सुनवाई के दौरान निचली अदालत के समक्ष यह मुद्दा उठा सकता है.