कलीदी सूद की शरहों में कोई तबदीली नहीं ,आर बी आई का इक़दाम

जी डी पी शरह तरक़्क़ी में कमी ,रुपये की क़दर में कमी से ईंधन की क़ीमतों में इज़ाफ़ा ,मज़ीद कमी के इंसिदादी इक़दामात
रुपये की कमज़ोरी के ज़ेर-ए-असर रिज़र्व बैंक ने आज तमाम कलीदी सूद की शरहों में कोई तबदीली नहीं की और हुकूमत से ख़ाहिश की कि बुलंद करंट अकाउंट ख़सारे पर क़ाबू पाने फ़ौरी इक़दामात किए जाएं । जारीया माली साल केलिए मुक़र्ररा शरह तरक़्क़ी 5.7 फ़ीसद से कम कर के 5.5 फ़ीसद करदी गई ।

बैंक ने कहा कि ख़ारिजी शोबा मआशी इस्तिहकाम केलिए सब से बड़ा ख़तरा है हालिया दीवालीया पन के इंसिदाद केलिए सख़्त इक़दामात करते हुए आर बी आई ने फ़ैसला किया कि ग़ैर मुल्की ज़र-ए-मुबादला बाज़ार में इस्तिहकाम की बहाल केलिए बतदरीज अंदाज़ में इक़दामात किए जाऐंगे ताकि शरह तरक़्क़ी की इमदादी पालिसी बरअक्स की जा सके ।

इफ़रात-ए-ज़र पर क़ाबू पाने की कोशिश करते हुए आर बी आई ने मुसलसल निगरानी और तैयार की ज़रूरत पर ज़ोर दियाता कि ख़ारिजा तबदीलीयों से मुल्की मईशत ख़तरे में ना पड़ जाएं और दिफ़ाई कार्रवाई करसके । आलमी मआशी बाज़ारों में बोहरान पैदा होगया है ।

आर बी आई के गवर्नर डी सुबह राव ने अपना आख़िरी पालिसी बयान बेनकाब किया ।रहनुमाया ना पालिसी पेश करते हुए उन्होंने कहा कि मालीयाती पालिसी पेशरफ़त कररही है ताकि फ़रोग़ की ताईद पर ग़ौर किया जा सके ।सुब्बह राव आइन्दा सहि माही नज़र-ए-सानी से बहुत पहले ख़िदमात से सबकदोश होने वाले हैं ।उन्होंने कहा कि आर बी आई दीवालीया पन के हालात से निमटने की कोशिश में इस बात को यक़ीनी बनाएगी कि मईशत के पैदावारी शोबों को काफ़ी क़र्ज़ फ़राहम किया जा सके ।

इफ़रात-ए-ज़र के बारे में उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून के नतीजे में शरह तरक़्क़ी में इज़ाफ़ा होगा और इफ़रात-ए-ज़र के क़ाबू में आने का इमकान है । उन्होंने कहा कि ख़ारिजी शोबा बड़े पैमाने के मआशी इस्तिहकाम केलिए सब से बड़ा ख़तरा है । उन्होंने करंट अकाउंट ख़सारा में कमी करने केलिए हुकूमत से इक़दामात का मुतालिबा किया और कहा कि ख़सारा जी डी पी के 2.5 फ़ीसद से ज़्यादा ना होना चाहीए । रुपये की क़दर में मौजूदा इन्हितात पर तशवीश ज़ाहिर करते हुए कहा कि यही क़ीमतों में इज़ाफे की बुनियादी वजह है खासतौर पर ईंधन की क़ीमतों में रुपये की क़दर में कमी से बेतहाशा इज़ाफ़ा हुआ है ।

आइन्दा 6 ता 12 माह में 174 अरब अमरीकी डालर का क़र्ज़ हिन्दुस्तान को अदा करना है जबकि बैरूनी ज़र-ए-मुबादले के ज़ख़ाइर में मुसलसल कमी होरही है उन्होंने कहा कि इसी वजह से माली इर्तिकाज़ के ठोस इक़दामात ज़रूरी होगए हैं । उन्हों ने कहा कि दूसरी सहि माही की मालीयाती पालिसी पर नज़र-ए-सानी 29 अक्टूबर को की जाएगी जबकि आइन्दा सहि माही के वस्त में नज़र-ए-सानी 18 सितंबर को जारी की जाएगी । उन्होंने कहा कि पालिसी कोशिशों के बगै़र पैदावार और मुसाबक़त के शोबों में इन्हितात पर क़ाबू पाना नामुमकिन होगा ।